Gramin Kisan Chhatrawas Ratangarh
Author:Laxman Burdak, IFS (Retd.), Jaipur |
Gramin Kisan Chhatrawas Ratangarh (ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़), earlier called Vidyarthi Bhawan Ratangarh (विद्यार्थी भवन रतनगढ़), is situated in Ratangarh town of Churu district in Rajasthan. Vidyarthi Bhawan Ratangarh played a very important role in spreading education and reforming the society. This was inaugurated by Swami Keshwanand on 13-14 April 1946. It became centre of awakening for the farmers.
The beginning
Rupa Ram Maan was from Haryana. He was Head Constable in Railway Police at Ratangarh, Rajasthan. He left the job in the beginning of 1945 and founded Vidyarthi Bhawan at Sihagon Ki Chhatri in Ratangarh under the guidance of Swami Keshwanand, Kumbha Ram Arya, Harish Chandra Nain etc. Here he started educating boys belonging to farming community. Initially his wife used to cook food for the boys. Rupa Ram Maan and Asha Ram Manda devoted their life for the purpose.
Kisan Chhatrawas becomes centre of awakening
Chaudhari Rupram Maan and Swami Chetnanand started the education program for Jat farmers in rural areas of Ratangarh tehsil by opening private schools. They appointed Swami Nityanand and Chaudhari Chandgi Ram for this purpose. Swami Chetnanand was born in the family of a Dhaka Jat farmer and could feel the effect of oppression by Jagirdars. These people remained under ground and collected money to start the private education of Jat boys. Chaudhari Budha Ram Katewa of Bharatia ki Dhani, Ratangarh, Chaudhari Budha Ram Dudi village Sitsar and Chaudhari Surta Ram Sewda, Ratangarh helped a lot in this campaign. Chaudhari Surta Ram Sewda gave his own land for starting a school and Chaudhari Budha Ram Dudi got made a shade on this land to start a school.[1]
At that time, there were 40-50 Jat boys getting education in Ratangarh town who were mainly from Sihag, Dudi, and Tetarwal Jat clans of Ratangarh and rest were from neighbouring villages like Sangasar, Loonchh, Loha, Chhabri, Kadia, Tidiyasar, Thathawata etc. Most of these boys were from poor families and could not afford education on their own. The only means of funding the private education was through collection of contribution (chanda) or subscription from the farmers. Jats of Ratangarh and Churu either could not afford or did not give subscription out of fear of the Jagirdars. But the Jats of Ganganagar district were well off and they were not much effected by Jagirdars. They gave handsome amounts for education. [2]
Chaudhari Hari Ram Dhaka went to Sangariya to get financial help from Swami Keshwanand. Swami Keshwanand appointed him the Manager of Industries Department of Jat High School Sangariya. Megh Singh Sewda also joined this school. Chaudhari Hari Ram Dhaka collected about Rs. 2000/- from the teachers of Jat High School and called Chaudhari Rupram Maan, Vidyarthi Bhawan Ratangarh, to hand over this amount. He then sent Chaudhari Rupram Maan to Advocate Harishchandra Nain at Ganganagar. There was a good subscription at Ganganagar and with this financial assistance Chaudhari Rupram Maan and Swami Chetnanand organized a grand sabha of farmers at Ratangarh in Podaron ka Nohra. Swami Keshwanand and Chaudhari Hari Ram Dhaka also joined this sabha. A number of decisions were taken in this sabha about awakening of the farmers of this area. As decided in this sabha Swami Keshwanand sent Chaudhari Hari Ram Dhaka to Ratangarh to enhance the movement of education and freedom.[3]
विद्यार्थी भवन रतनगढ़ की स्थापना
विद्यार्थी भवन रतनगढ़ की स्थापना: सन 1944 में रतनगढ़ में सीहागों की छतरी में विद्यार्थी भवन शुरू हुआ। बाद में यह पोदारों के नोहरे में चलाया गया जहां पहला अधिवेशन हुआ। स्वामी केशवानन्द के कर कमलों से इसका विधिवत शुभारंभ 13-14 अप्रेल 1946 को हुआ। रूपराम मान और अशाराम मंडा ने तो अपना पूरा जीवन इसी के लिए न्यौछावर कर दिया। विद्यार्थी भवन रतनगढ़ के फलने फूलने में कुम्भाराम आर्य, स्वामी केशवानंद (ढाका), हरीशचन्द्र नैण का सतत मार्गदर्शन मिला। विद्यार्थी भवन रतनगढ़ ने क्षेत्र में जागृति का महत्वपूर्ण काम किया। रतनगढ़ तहसील के लोहा गाँव में किसान सम्मलेन - 10 अक्टूबर 1946 और कांगड़ आंदोलन 30 अक्टूबर 1946 इसी के परिणाम थे।
नोट - विद्यार्थी भवन रतनगढ़ की स्थापना और सहयोगी कार्यकर्ताओं के संबंध में एक विस्तृत लेख आधुनिक जाट इतिहास - 1998 में छपा था जिसकी पूर्ण प्रति चौधरी हरिराम ढाका के पेज पर उपलब्ध है।
विद्यार्थी भवन रतनगढ़ की स्थापना में सहयोगियों की सूची
विद्यार्थी भवन रतनगढ़ की स्थापना करने, बच्चों में शिक्षा के प्रति चेतना जागृत करने, जागीरदारों के विरुद्ध लोहा तथा कांगड़ जन आंदोलन के सफल बनाने में जिनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही उनमें सम्मिलित हैं:
- अशाराम मंडा, गाँव बालेरा, सुजानगढ़, चुरू
- बेगाराम बुडानिया, गाँव दूधवा खारा, चुरू,
- बुधराम डुडी, गाँव सीतसर, रतनगढ़, चुरू
- बुधराम कटेवा, गाँव भरतिया की ढानी, रतनगढ़, चुरू
- मास्टर छैलूराम पूनिया, गागड़वास, राजगढ़, चुरू
- चंदगी राम कड़वासरा, नेशल, राजगढ़, चुरू
- चौधरी चंदगीराम पूनिया, गागड़वास, राजगढ़, चुरू
- चुनाराम चाहर, कांगड़, रतनगढ़, चुरू
- दौलतराम सारण, ढाणी पचेरा, सरदारशहर, चुरू,
- दीप चंद आर्य (कसवा), गाँव कालरी, राजगढ़, चुरू
- गणपत राम नयोल, गाँव सातड़ा, चुरू
- हंसराज आर्य (सहू) , गाँव घोटड़ा, भादरा, हनुमानगढ़
- हनुमानसिंह बुडानिया, गाँव दूधवा खारा, चुरू,
- हरिराम ढाका, नौरंगसर, सुजानगढ़, चुरू
- हरीशचन्द्र नैण, मूल रूप से बछरारा, रतनगढ़, चुरू
- हीरासिंह चाहर, पहाड़सर, राजगढ़, चुरू,
- हुकमाराम जांदू, जान्दवा, रतनगढ़, चुरू
- जेठा राम सिहाग, मौलीसर बड़ा, रतनगढ़, चुरू
- जीवण राम पूनिया, जैतपुरा, राजगढ़, चुरू,
- कुम्भाराम आर्य, फेफाना, हनुमानगढ़,
- चौ. कुरड़ाराम घुमन्दा, रतनगढ़, चुरू
- लादू राम बुरड़क, ठठावता, रतनगढ़, चुरू
- लादूराम खीचड़, सुजानगढ़, चुरू
- लेखा राम खीचड़, जांदवा, रतनगढ़, चुरू
- माली राम बुरड़क, आथुना मोहल्ला, रतनगढ़, चुरू. पूर्व चेयरमेन नगरपालिका रतनगढ़
- मनीराम आर्य, देवगढ़, तारानगर, चुरू
- मेघसिंह आर्य (सेवदा), खारिया कनीराम, सुजानगढ़, चुरू
- मोहर सिंह पूनिया, जैतपुर, राजगढ़, चुरू
- मौजीराम चांदगोठी, चांदगोठी, राजगढ़, चुरू
- मुकनाराम अचरा, गोरीसर, रतनगढ़, चुरू
- नरसाराम जाखड़, सरोठिया, सुजानगढ़, चुरू
- रिकताराम तरड़, जसरासर, नोखा, बीकानेर,
- रूपराम मान, गोठा, राजगढ़, चुरू
- शीश राम श्योराण, पचगांव, भिवानी, हरयाणा
- शिवजी राम सारण, डालमान, सरदारशहर, चुरू
- चौधरी सोहनराम थालोड़, रतनसरा, चूरु
- श्रीमती सुदर्शन कौर मान, पत्नी रूपराम मान, हरयाणा
- सुरजाराम सारण, जयसंगसर, सरदारशहर,
- सुरता राम सेवदा, खारिया कनीराम, सुजानगढ़, चुरू
- स्वामी चेतनानन्द (ढाका), दादूवारा, रतनगढ़, चुरू
- स्वामी गोपाल दास (कसवा), भैरूंसर, चुरू,
- स्वामी केशवानंद (ढाका), गाँव मंगलूना, लक्ष्मणगढ़, सीकर
- स्वामी नित्यानंद (पूनिया) , खैरू छोटी, राजगढ़,
- स्वामी सच्चिदानंद, चुरू,
- टीकूराम बुडानिया, लोहा, रतनगढ़,
- तिलोकाराम बुरड़क, गुलेरिया, सुजानगढ़, चुरू
- त्रिलोक सिंह दहिया, सुलखनिया, रतनगढ़, चुरू
किसान छात्रावास रतनगढ़ की गतिविधियां
किसान छात्रावास रतनगढ़ समय समय पर समाज हित में कार्यक्रम आयोजित करता है जिनका विवरण नीचे दिया गया है।
जाट बौद्धिकमंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ - 2012
दिनांक 27.12.2012 को जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के तत्वावधान में किसान छात्रावास रतनगढ़ में समाज की प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा। मंच के सचिव मुकंदाराम नेहरा ने बताया कि 2011-12 में बोर्ड में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी व राजकीय सेवा में नवनियुक्त हुए अभ्यर्थी, सेवानिवृत कार्मिक, राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ी तथा आईआईटी, एमबीबीएस में चयनित प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाएगा। नेहरा ने बताया कि पात्र अभ्यर्थी अपने प्रमाण पत्र मंच के पदाधिकारियों के पास जमा करवा सकते हैं। [4]
जाट बौद्धिक मंच के तत्वावधान में 27 दिसंबर को किसान छात्रावास में जाट समाज की प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा। मंच के सचिव मुकंदाराम नेहरा ने बताया कि सम्मान समारोह की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अजय चौधरी करेंगे। मुख्य अतिथि एसडीएम पीएल जाट, विशिष्ट अतिथि डॉ. घासीराम महिया, प्राचार्य एचआर ईशराण होंगे। समारोह में कक्षा 10, 12 में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त, आईआईटी, एमबीबीएस में चयनित विद्यार्थी, राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ी व सिविल सेवाओं में नियुक्ति प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा।[5]
जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ़ - 2013
दिनाक 12.01.2014 को किसान छात्रावास रतनगढ़ में जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के तत्वावधान में प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया गया। बोर्ड परीक्षाओं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का सम्मान किया गया। आई. आई. टी. में चयनित रवीद्र कुमार, मेडिकल में चयनित मनीष खिचड़ व बबीता खिचड़ का सम्मान किया गया। समारोह में निम्न प्रबुद्ध गण उपस्थित थे -
- प्रोफेसर घासीराम वर्मा - मुख्य अतिथि
- सुगना राम कटेवा - अध्यक्ष
- मुकंदा राम नेहरा - सचिव
- समारोह के वक्ताओं मे मुख्य थे -
- पूसा राम गोदारा
- बल देव सारण
- नरेश गोदारा - नेता
- सज्जन कुमार बाटड़ - अध्यक्ष सरपंच फोरम
- महावीर सिहाग - वकील
- इंद्र चंद खीचड़
- राम लाल सिहाग
- नानू राम बीरडा
- शिव लाल ढेवा
- चन्द्र कला ढाका
- गिरधारी लाल खीचड़
- भँवर लाल
जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ- 2014
दिनांक 19.10.2014 को जाट बौद्धिक मंच रतनगढ के द्वारा ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ में प्रतिभा सम्मान समारोह-2014 आयोजित किया गया. समारोह में 10 वीं और 12 वीं कक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित किया गया.
समारोह में उपस्थित मुख्य महानुभाव थे -
लक्ष्मण राम बुरड़क - मुख्य अतिथि
दूला राम सहारण - विशिष्ठ अतिथि
ताराचंद पायल - अध्यक्ष
भंवर लाल डूडी - अध्यक्ष जाट बौद्धिक मंच
मुकंदा राम नेहरा - सचिव
पूरा राम गांधी - कार्यक्रम संचालक
कार्यक्रम में सम्मानित विद्यार्थी:
हेत राम धेतरवाल - आइ आइ टी में चयन
शुभम हुड्डा - एम बी बी एस में चयन
अनिता डूडी - एम बी बी एस में चयन
भानी राम सारण - एम बी बी एस में चयन
कमलेश खीचड़ - एम बी बी एस में चयन
पूनम खीचड़ - बी वी एस में चयन
राकेश बिजारणिया - राज्य सेवा में चयन
रुकमा नंद भींचर - राज्यपाल द्वारा सम्मानित शिक्षक
S.No. | Name | Father's name | Village | Percent Marks |
---|---|---|---|---|
1. | Sulochna Kaswan | Rameshwar Lal | Nuan | 88.8 |
2. | Manoj Kumar Ghintala | Ratan Lal | Pabusar | 86.6 |
3. | Satyendra Pal Singh Bhinchar | Sultan Singh | Kusumdesar | 84 |
4. | Sarda Kilka | Sugna Ram | Padihara | 83.8 |
5. | Ashish Dhaka | Ram Lal | Ratangarh | 83.8 |
6. | Kuldip Singh Achra | Ram Chandra | Chhabri Khari | 82.2 |
7. | Sarita Bhari | Durga Ram | Pabusar | 81.6 |
8. | Pramod Kumar Dudi | Bhanwar Lal | Sitsar | 81.2 |
9. | Mukhram Kadwasra | Gyana Ram | Golsar | 81 |
10. | Kuldip Kulhari | Karni Singh | Ratangarh | 81 |
11. | Krishna Kumar Kilka | Nanu Ram | Padihara | 81 |
12. | Sonu Kumari Dudi | Chhatu Ram | Kusumdesar | 80.8 |
13. | Dipika Chabarwal | Shankar Lal | Ratansara | 80.8 |
14. | Niranjan Nain | Magha Ram | Tidiyasar | 80.4 |
15. | Rakesh Kumar Beniwal | Shrawan Ram | Gopalpuriya | 80.4 |
16. | Priyanka Dudi | Bhinwa Ram | Sitsar | 80 |
17. | Annand Prakash Khichar | Raghunath Singh | Mainasar | 79.2 |
18. | Rajni Hudda | Mahendra Kumar | Kusumdesar | 79 |
19. | Hemant Bhamu | Tilika Ram | Bhukhredi | 79 |
20. | Sarita Dhaka | Randhir Dhaka | Bachhrara | 79 |
21. | Virendra Muhal | Ramchandra | Sulkhania | 78.8 |
22. | Jagdish Khichar | Deep Chand | Jandwa | 78.6 |
23. | Surya Prakash Jhajhra | Chauth Ram | Ratangarh | 78.4 |
24. | Piyanka Bagadwa | Nand Ram | Daudsar | 78.2 |
25. | Nirjan Kumar Muhal | Girdhari Lal | Sulkhania | 78 |
26. | am Pratap Sahu | Gopal Ram | Lachhadsar | 77.2 |
27. | Kavita Dudi | Nagar Mal | Sitsar | 77.2 |
28. | Kavita Bijarnia | Kisna Ram | Mainasar | 77 |
29. | Saroj Khichar | Rugha Ram | Mainasar | 77 |
30. | Suman Mahla | Buddhar Ram | Hansasar | 77.6 |
31. | Monika Sihag | Bhanwar Lal | Ratangarh | 77.6 |
32. | Himani Khichar | Girdhari Lal | Jandwa | 77.6 |
33. | Km Vinod Punia | Surja Ram | Thathawata | 76.2 |
34. | Babita Nyol | Ram Kumar | Bachhrara | 76 |
35. | Bal Ram | Shishpal | Khudera Bada | 75.6 |
36. | Himanshu Bhamu | Tilika Ram | Bhukhredi | 75.6 |
37. | Sita Ram Koka | Kumbha Ram | Ratangarh | 75.2 |
38. | Mam Raj Bissu | Padma Ram | Lachhadsar | 75.2 |
39. | Laxmi Kumari Bagadwa | Bhanwar Lal | Chhabri Mithi | 82 |
40. | Pawan Saran | Pooran Chand | Sangasar | 83.6 |
41. | Narendra Saran | Pooran Chand | Sangasar | 76.2 |
42. | Madhu Kumari Chaudhari | Mamraj | Ratangarh | 78.8 |
Meritorious Students in 10th Board Examination-2014
S.No. | Name | Father's name | Village | Percent Marks |
---|---|---|---|---|
1. | Sarika Dudi | Manoj Kumar | Sitsar | 92 |
2. | Suresh Kumar Mahla | Moti Ram | Bhukhredi | 89.83 |
3. | Chandra Kala Chabarwal | Sohan Lal | Ratansara | 89.5 |
4. | Anil Kumar Dhewa | Raj Kumar | Biramsar | 89.17 |
5. | Hitesh Dudi | Bhanwar Lal | Kusumdesar | 88 |
6. | Ashok Kumar Bhamu | Jagna Ram | Bhukhredi | 87.67 |
7. | Madan Lal Bhakhar | Raghuvir Singh | Lachhadsar | 87.67 |
8. | Ashok Kumar Khichar | Jagdish Prasad | Jandwa | 86.83 |
9. | Narendra Singh Dhaka | Mangi Lal | Ratangarh | 86.5 |
10. | Om Prakash Kansujia | Poora Ram | Daudsar | 85.5 |
11. | Bhageshwar Dhaka | Ramlal | Ratangarh | 85 |
12. | Sunita Dudi | Om Prakash | Sitsar | 85 |
13. | Dinesh Mahla | Ram Kisan | Raghunathpura | 84.5 |
14. | Dharendra Dhaka | Sultan | Kanwari | 83.33 |
15. | Monika Mahla | Buddhar Ram | Hansasar | 83.33 |
16. | Sadhna Bagadwa | Nand Ram | Daudsar | 82.67 |
17. | Mahendra Kumar Muwal | Mota Ram | Lachhadsar | 82.17 |
18. | Nikita Nehra | Tarachand | Biramsar | 81.5 |
19. | Mamta Dahia | Ramawtar | Sulkhania | 80.83 |
20. | Bhagyashri Sewda | Pawan Kumar | Ratangarh | 80 |
21. | Himanshu Saran | Ram Niwas | Tidiyasar | 79.8 |
22. | Anuradha Bana | Madan Lal | Jaleu | 79.8 |
23. | Vidya Dudi | Mangi Lal | Sitsar | 79.33 |
24. | Rahul Ruhela | Sultan Singh | Kadia | 79 |
25. | Raj Kumar Khichar | Ram Chandra | Mainasar | 78 |
26. | Raj Kumar Padgad | Lichchhu Ram | Khotri | 77.83 |
27. | Radha Saran | Ganga Ram | Bandwa | 77.5 |
28. | Lal Chand Dudi | Pooran Mal | Kusumdesar | 77.33 |
29. | Anurag Kulhari | Madan Lal | Ratangarh | 77.33 |
30. | Devanshu Chaudhari (Jhuria) | Mahavir Prasad Jhuria | Ratangarh | 76.17 |
31. | Vikas Gadhwal | Girdhari Lal | Ratangarh | 76 |
32. | Chhoti Punia | Surja Ram | Thathawata | 75.83 |
30. | Kalpana Chaudhari (Godara) | Debu Ram Godara | Ratangarh | 75.8 |
34. | Mamta Punia | Gopal Ram | Biramsar | 75.67 |
35. | Narendra Kumar Khichar | Bhagirath Prasad | Mainasar | 75.5 |
36. | Bharti Bijarnia | Moti Lal | Rukhasar | 75.5 |
37. | Poonam Chand Mundalia | Teja Ram | Bhawandesar | 75.17 |
38. | Roshni Nain | Shyodana Ram | Bachhrara | 75 |
39. | Km Pramod Budania | Ramchandra | Loha | 75 |
40. | Km Vinod Bagadwa | Niranaram | Daudsar | 81.33 |
41. | Ganesha Ram Dhaka | Prabhu Ram | Ratangarh 76.83 |
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Dulla Ram Saran and Laxman Burdak
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Jat Bauddhik Manch Committee Ratangarh
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Laxman Burdak Tarachand Payal Rewant Ram Dudi honoured Anita Dudi MBBS
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Laxman Burdak Tarachand Payal Rewant Ram Dudi honouring Hetram Bhani Ram Saran MBBS
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Laxman Burdak being honoured by Bhanwar Lal Dudi and Mukanda Ram Nehra
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Laxman Burdak with Brij Lal Khichar and Hanmana Ram Nyol
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Laxman Burdak donating Jat History Books to Sugna Ram Katewa
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Mahavir Sihag advocate welcoming Laxman Burdak
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Pura Ram Gandhi Binadesar
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Ram Lal Sihag Ex Adhyaksh Jat Bording Ratangarh
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Rewant Ram Dudi Sitsar
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Rukmanand Bhinchar Kusumdesr with Rameshwar Dudi Sitsar
Centenary of Social Awakening in Bikaner Division:31.8.2017
Jat Kirti Sansthan Churu has decided to commemorate Centenary of social awakening in Bikaner division on the auspicious occasion of Teja Dasmi (August 31,2017) at Kisan Chhatrawas Ratangarh situated at Ratangarh in District - Churu, Rajasthan.
As we know, the process of social awakening was pioneered by Swami Gopal Das (a Jat from Kaswan clan) by opening schools for girls and Dalits in and around Churu in 1912. The visionaries of our community deserve credit for realizing the significance of education in social awakening and betterment of society. Education is actually mother of all awakening. It is education that opens eyes of people to their pathetic plight and its root cause. Realizing the significance of education in empowerment of people and walking on the heels of Swami Gopal Das, Choudhary Bahadur Singh Bhobia played a pivotal part in providing impetus to social awakening by opening the school named Jat Anglo Sanskrit Middle School, Sangaria on August 9, 1917. This school of yester years has the proud privilege to be the first school in Rajasthan that was opened with the name of Jat Community.
Later on, under the refined stewardship and able guidance of Swami Keshwanand this school was metamorphosed into a progressive institution of higher studies in different disciplines. Despite all sorts of adverse circumstances a chain of hostels and hostel-cum schools for students hailing from rural areas were established in different towns ; and as many as 287 schools in rural areas were opened for propagation of education in the desert region of Rajasthan.
Education had its desired effect in rousing the heroes of our community to raise a determined voice against the suppression and exploitation at the hands of the deadly combination of the rulers of the earstwhile princely states, fuedals and foreign rule. The heroes of our community fought valiantly against all sorts of injustice and exploitative practices . They had to suffer trails and tribulations to pave the way for establishing the social set-up based on the principles of liberty, equality, fraternity and justice.
The features of the commemorative function:--
- 1. Revisiting and re-evaluating the history of the community replete with struggles .
- 2. Releasing a booklet comprising of articles on the role of the visionaries of the community who pioneered social awakening.
- 3. Discussion on the the diverse sorts of issues pertaining to social awakening .
- 4. The rich history of the Jats . What we were and what we have become .
- 5. Displaying and selling of Literature on Jat community .
- 6. Discussion on eradication of social evils .
- 7. Remembering and paying rich tributes to those who paved the way for the social reformation or made contribution to ensure social upliftment.
The visitors of the Jatland.com are cordially invited to attend the commemorative function. Kindly make it convenient to attend the function to boost the morale of the organizers.......................H R Isran, President Jat Kirti Sansthan Churu
समाज-जागृति के सौ साल: समारोह 31.8.2017
जाट कीर्ति संस्थान चुरू द्वारा समाज-जागृति के सौ साल का समारोह दिनांक 31.8.2017 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ में तेजा दशमी के अवसर पर मनाया गया।
भूमिका: शिक्षा और संघर्ष के बल पर हमारा समाज रूढ़िवाद औऱ पाखंडवाद के शिकंजे से मुक्त होकर आधुनिकता के पथ पर आगे बढ़ सका। चूरू के भैरुंसर गांव में श्री बींजाराम कस्वां के घर जन्मे स्वामी गोपालदास ने नव चेतना के अग्रदूत बनकर 1907 ई. में चूरू में सर्वहितकारिणी सभा की स्थापना कर शिक्षा के प्रचार-प्रसार, समाज-सुधार और जनहित का बीड़ा उठाया। उन्होंने 1912 ई. में महिला- शिक्षा के लिए पुत्री पाठशाला औऱ अछूतोद्धार के लिए दलित बस्ती में कबीर पाठशाला खोलने का क्रांतिकारी कदम उठाया। ताकतवर बनने के लिए शिक्षा जरूरी है, इस तथ्य को स्वीकारते हुए और स्वामी गोपालदास के नक्शे-कदम पर चलते हुए चौधरी बहादुर सिंह भोबिया ने 9 अगस्त 1917 को तमाम अवरोधों के बावजूद राजस्थान में समाज के नाम से पहली स्कूल 'जाट एंग्लो संस्कृत मिडल स्कूल, संगरिया की स्थापना की और समाज में शिक्षा-जागृति के प्रथम पुरोधा बने। भोबिया जी के असामयिक निधन के बाद इस संस्था की नाव के खेवनहार चौधरी हरिश्चंद्र नैन बने। 1932 में इस स्कूल के संचालन का दायित्व स्वामी केशवानन्द (मंगलूणा में जन्मे ढाका जाट) को सौंपा गया। स्वामी जी ने इस संस्था का कायापलट करते हुए इसे उत्तर भारत की एक प्रगतिशील शिक्षण संस्था के रूप में विकसित किया और 1948 ई. में इसका नाम बदलकर 'ग्रामोत्थान विद्यापीठ, संगरिया ' किया गया। इस संस्थान के तहत बीकानेर संभाग के देहाती इलाके में 287 स्कूल खोलकर हर इलाके में शिक्षा की अलख जगाई गई। समाज के संघर्षशील महानुभावों की अगुवाई में देहाती छात्रों के आवास और शिक्षा के प्रबंध हेतु विभिन्न कस्बों में छात्रावास व छात्रावास मय स्कूल स्थापित किए गए।
समारोह रतनगढ़ में क्यों?
युगद्रष्टा स्वामी गोपालदास ने सर्वहितकारिणी सभा के तहत रतनगढ़ में भी जनहित के काम संपादित किए। शिक्षा-संत स्वामी केशवानन्द का बचपन का कुछ समय रतनगढ़ में बीता था तथा 1944 से संचालित विद्यार्थी भवन, रतनगढ़ (जो अब किसान छात्रावास के नाम से जाना जाता है) का विधिवत उद्घाटन 13-14 अप्रैल 1946 को स्वामी केशवानन्द के कर कमलों से सम्पन्न हुआ था। चौधरी हरिश्चंद्र नैन के पुरखे रतनगढ़ तहसील के बछरारा गांव के निवासी थी औऱ हरिश्चंद्र जी का जन्म सरदारशहर तहसील के कुंतलसर गांव में हुआ था। चौधरी बहादुर सिंह भोबिया के पिताजी सरदारशहर के जैतसीसर गांव के मूल निवासी थे।
विद्यार्थी भवन, रतनगढ़ में संचालित राजनीतिक गतिविधियों की ही परिणीति थी कि जागीरी ज़ुल्म के विरुद्ध लोहा और कांगड़ आंदोलन का आगाज समाज के जुझारुओं ने किया।
राजशाही के दमनकारी शासन और सामन्ती उत्पीड़न के ख़िलाफ़ चौधरी हनुमान सिंह बुडानिया, चौधरी कुम्भाराम आर्य, चौधरी हरिराम ढाका नोरंगसर, चौ. चुनाराम चाहर कांगड़, चौ. बुधराम डूडी सीतसर, चौ. कुरड़ाराम घुमन्दा, चौ. रूपाराम मान, स्वामी नित्यानंद खींचिवाला व समाज के अन्य संघर्षशील लोगों ने लड़ाई लड़कर मुक्ति संघर्षों में सक्रिय सहयोग प्रदान किया और समाज को जागृत किया।
शिक्षा के प्रचार-प्रसार और मुक्ति संघर्षों मे अगुवाई करने वाले समाज-शिरोमणियों के योगदान का स्मरण करना और उन्हें सम्मानित करने का दायित्व हम सब समाज बंधुओं का बनता है। समाज- जागृति के सौ साल पूरे होने के अवसर पर रतनगढ़ में आयोजित स्मरण-समारोह में सम्मिलित होकर समाज के सितारों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना हमारा दायित्व था। उन्होंने कष्ट सहे, जेल की सजा भुगती, यातना सही ताकि हम शिक्षित हो सकें और सामन्ती उत्पीड़न से आज़ाद होकर प्रगति की राह पर आगे बढ़ते चलें।
समारोह में क्या हुआ?
- बीकानेर संभाग में फैली हुई समाज की विरासत यथा शिक्षण संस्थाओं के भवन, छात्रावासों के भवन तथा अन्य ऐतिहासिक और सामाजिक स्मारक भवनों की तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई गई।
- समाज के इतिहास और साहित्य संबंधी पुस्तकों की तस्वीर लगाकर प्रदर्शनी की तथा क्रय-विक्रय हेतु साहित्य के स्टॉल लगाए गए।
- शिक्षा और संघर्ष में अगुवाई करने वाले समाज-शिरोमणियों की तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई गई तथा उनके योगदान पर इतिहासज्ञों व शिक्षाविदों द्वारा व्याख्यान दिये गए।
- शिक्षा के प्रचार-प्रसार और सामन्ती उत्पीड़न के मुक्ति संघर्षों के इतिहास को आलोकित करते हुए प्रकाशित की गई पुस्तक का विमोचन किया गया।
- समाज-शिरोमणियों को उनके योगदान का स्मरण करते हुए श्रदांजलि एवं उनके परिजनों का अभिनन्दन किया गया।
- नवाचार अपनाते हुए विभिन्न क्षेत्रों में समाज की प्रतिभाओं को समाज-शिरोमणियों के नाम पर सम्मान-पत्र प्रदान किए गए, जैसे जनसेवा के लिए स्वामी गोपालदास सम्मान, शिक्षा के प्रचार- प्रसार के लिए स्वामी केशवानन्द सम्मान, इतिहास- लेखन के लिए ठाकुर देशराज सम्मान, नव शिक्षा-संस्थान स्थापना का चौधरी बहादुर सिंह भोबिया सम्मान, खेलकूद के लिए दारा सिंह सम्मान, समाज-भामाशाह का सेठ छाजूराम सम्मान, पर्यावरण-संरक्षण का स्वामी गोपालदास सम्मान, साहित्य-सृजन के लिए राणा बाई सम्मान आदि-आदि।
- सामाजिक रूढ़ियों व बुराइयों के उन्मूलन पर विचार-मंथन
- समाज की वर्तमान दशा के संदर्भ में भावी दिशा पर मार्गदर्शन।
समारोह की उल्लेखनीय पहल
- कोई स्टेज नहीं। सभी समान धरातल पर बैठे।
- कोई मुख्य अतिथि या विशिष्ट अतिथि नहीं। मुख्य वक्ता के रूप में इतिहासज्ञ, शिक्षाविद, साहित्यकार एवं सामाजिक सरोकारों से संबंधित गणमान्य लोग।
- किसी को माल्यार्पण करने का कोई प्रावधान नहीं।
- किसी राजनीतिक मुद्दे या राजीनीतिक एजेण्डे से इस समारोह का कोई सरोकार नहीं।
- बीकानेर संभाग में शिक्षा और संघर्ष के इतिहास पर नई दृष्टि से चिंतन-मनन।
- समारोह दिनांक 31 अगस्त 2017 को तेजा दशमी के अवसर पर आयोजित कर लोगों को तेजाजी का इतिहास और उनके बलिदान से अवगत कराया।
- समारोह-स्थल: किसान छात्रावास, रतनगढ़ (चूरू)
आमंत्रित मुख्य वक्तागण
- प्रो एच. आर. ईसराण, पूर्व प्राचार्य, कॉलेज शिक्षा, आयोजक: जाट कीर्ति संस्थान चुरू एवं किसान छात्रावास रतनगढ़
- श्री लक्ष्मण बुरड़क (जाटलैंड डॉट कॉम के माडरेटर एवं, अध्यक्ष तेजा फाउंडेशन)
- प्रो. पेमाराम (समाज के मूर्धन्य इतिहासकार)
- प्रो. घासीराम चौधरी (किसान आंदोलन व समाज-जागृति के अध्येयता)
- श्री रामस्वरूप चौधरी (सामाजिक चिंतक एवं सचिव, तेजा फाउंडेशन)
- डॉ भरत सारण (संस्थापक, फिफ्टी विलेजर्स संस्थान, बाड़मेर)
- चौधरी भीमसिंह आर्य (विद्यार्थी भवन, रतनगढ़ के पूर्व विद्यार्थी एवं जागीरी ज़ुल्म पर लिखी पुस्तक के लेखक)
- जाट-रत्न मासिक पत्रिका के मुख्य संपादक/प्रकाशक: जसवीर सिंह मालिक, रोहतक, हरियाणा
- सम्मानित हुये साहित्यकारों का उद्बोधन
- समाज औऱ अपने पुरखों के संघर्षों के असली इतिहास से अवगत कराया कि हमारे पुरखे क्या थे, हम क्या हैं और हमें किस दिशा में आगे बढ़ना है।
ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ में समाज जागृति के सौ साल समारोह दिनांक 31.8.2017 की झलकियाँ:
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बीकानेर संभाग में शिक्षा और संघर्ष के स्तम्भ
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बीकानेर संभाग में समाज विकास के स्तम्भ
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बीकानेर संभाग में शिक्षा और संघर्ष के स्तम्भ
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बीकानेर संभाग में समाज की विरासत
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समाज साहित्य
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स्मरण समारोह के प्रायोजक शैतानाराम भुवाल एवं परिवार के सदस्य
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बलदेव सारण, शिवचंद सहू, रामस्वरूप चौधरी, हरीराम ढाका एवं उनके भाई भंवरलाल ढाका , डॉ. पेमाराम, लक्ष्मण बुरड़क, कन्हैया लाल सींवर, घासीराम महिया, हनुमानाराम ईसराण
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जसबीरसिंह मलिक, हरीराम ढाका एवं उनके भाई भंवरलाल ढाका, लक्ष्मण महला ग्रामीण किसान छात्रावास में 31.8.2017
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श्रीमति अंजू नेहरा का सम्मान प्राप्त करते हुये गिरधारीलाल कुलहरी, लक्ष्मण महला, जसबीर सिंह मलिक, रामनाथ कसवा
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समाज जागृति के सौ साल समारोह में श्रोता
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समाज जागृति के सौ साल समारोह में श्रोता
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समाज जागृति के सौ साल समारोह को सफल बनाने वाली जाट कीर्ति संस्थान चुरू की टीम
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समाज जागृति के सौ साल समारोह को सफल बनाने वाली जाट कीर्ति संस्थान चुरू की टीम
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बीकानेर संभाग के इतिहास पर पुस्तक विमोचन
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बीकानेर संभाग के इतिहास पर पुस्तक विमोचन में शैतानाराम भुवाल, पीथाराम गुलेरिया, रामनाथ कसवा, सुगनाराम कटेवा, नरेंद्र भारतीय,-, हरीराम ढाका, रामस्वरूप चौधरी, जसबीर मलिक, सत्यवीर बेनीवाल, लक्ष्मण बुरड़क, चन्द्रकला ढाका
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रामस्वरूप चौधरी, हरीराम ढाका एवं उनके भाई भंवरलाल ढाका, डॉ. पेमाराम, हनुमानाराम ईसराण,लक्ष्मण बुरड़क, कन्हैया लाल सींवर
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बीकानेर संभाग में समाज विकास के स्तम्भ
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बीकानेर संभाग में समाज विकास के स्तम्भ
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भास्कर समाचार 1.9.2017
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राजस्थान पत्रिका समाचार 1.9.2017
समाज-जागृति के सौ साल: समारोह में सम्मानित हुये: 31.8.2017
समाज-जागृति के सौ साल: बीकानेर संभाग में शिक्षा और संघर्ष के प्रणेताओं के योगदान का स्मरण समारोह 31.8.2017 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ में सम्मानित होने वाले प्रबुद्ध गणों की सूची निम्नानुसार है:
नाम | सामाजिक कार्य | सम्मान | तस्वीर |
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श्रीमती अंजू नेहरा | दिव्यांग बच्चों को शिक्षित कर उन्हें हुनरमंद एवं स्वावलंबी बनाने का अभिनव कार्य चूरू में प्रारंभ करने के लिए | जनसेवा का स्वामी गोपालदास सम्मान | |
श्री धर्मवीर जाखड़ (कॉन्स्टेबल, राजस्थान पुलिस) | झुग्गियों में रहने वाले एवं परिस्थितिवश भिक्षावृत्ति में संलिप्त शिक्षा से वंचित बच्चों की शिक्षा के लिए चूरू में आपणी पाठशाला नामक स्कूल खोलकर उसे संचालित करने का अभिनव कार्य करने के लिए | स्वामी केशवानन्द सम्मान | |
डॉ कन्हैयालाल सींवर | सरदारशहर में किसान छात्रावास का विकास करने तथा खुद के घर पर ग्रामीण बालिकाओं के लिए होस्टल स्थापित करने एवं ततपश्चात आदर्श कन्या छात्रावास के निर्माण व विकास में अगुवाई करने के लिए | शिक्षा के प्रचार-प्रसार का स्वामी केशवानन्द सम्मान | |
डॉ पेमाराम | समाज के इतिहास- लेखन एवं राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम में समाज के नेताओं की भूमिका को आलोकित करने के लिए | इतिहासकार का ठाकुर देशराज सम्मान | |
श्री लक्ष्मण बुरड़क | इंटरनेट पर विकिपीडिया और जाटलैंड डॉट कॉम वेबसाइट के माध्यम से समाज का इतिहास विश्व-स्तर पर सर्व सुलभ कराने एवं समाज के इतिहास को डिजिटाइज़ करने के प्रक्रिया प्रारम्भ करने के लिए | इतिहाकार का ठाकुर देशराज सम्मान | |
डॉ भरत सारण एवं टीम 'फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान' | बाड़मेर जिले के सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत जरूरतमंद होनहार ग्रामीण छात्रों की शानदार सफलता चिकित्सा क्षेत्र की राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं में सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जनसहयोग से संचालित निःशुल्क कोचिंग मय बोर्डिंग संस्थान '50 विलेजर्स ' स्थापित करने की पहल करने के लिए | नव शिक्षा-संस्थान स्थापना का चौधरी बहादुर सिंह भोबिया सम्मान | |
श्री रामस्वरूप चौधरी | तेजा फाउंडेशन के माध्यम से समाज के जरूरतमंद प्रतिभाओं को प्रशासनिक पदों की भर्ती के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग प्रदान करने के विचार को क्रियान्वित करने की अगुवाई करने के लिए | नव शिक्षण संस्थान स्थापना का चौधरी बहादुर सिंह भोबिया सम्मान | |
श्री देवेंद्र झाझड़िया | पैरालिम्पिकस् में जैवलीन थ्रो में दो बार स्वर्ण पदक जीतकर कीर्तिमान स्थापित करने तथा खेल का सर्वोच्च सम्मान 'राजीव गांधी खेल-रत्न पुरस्कार' से सम्मानित होने के उपलक्ष्य में | खेलकूद का दारासिंह सम्मान | |
श्रीमती कृष्णा पूनियां | कॉमन वेल्थ गेम्स में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने एवं अर्जुन अवार्ड से सम्मानित होने के उपलक्ष्य में | खेलकूद का दारासिंह सम्मान | |
शैताना राम भुंवाल निवासी डूंगरगढ़ | समाज-जागृति के सौ साल के उपलक्ष्य में आयोजित स्मरण-समारोह प्रयोजित करने के लिए | समाज-भामाशाह का सेठ छाजूराम सम्मान | |
श्री हनुमाना राम झूरिया | बाजरे के बीज की पारम्परिक क़िस्म को सुलखनियाँ बाजरा के नाम से संरक्षित करने एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने पर सामाजिक अभिनन्दन स्वरूप | कृषि का वीर तेजाजी सम्मान | |
श्रीमती शबनम गोदारा और श्री शोभा सिंह | स्वामी गोपालदास पर्यावरण-संरक्षण सम्मान, राजस्थान में प्रवेश करने वाली नहरों में पंजाब के शहरों का मलबा प्रवाहित होकर आने के विरुद्ध नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में वाद दायर करने एवं मुकदमा जीत कर बीकानेर की 70 लाख आबादी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के प्रयासों के लिए | पर्यावरण-संरक्षण का स्वामी गोपालदास सम्मान | |
डॉ भरत ओला निवासी भिराणी (भादरा) | राजस्थानी के ख्यातनाम कथाकार व कवि के रूप में तथा उनके कहानी संग्रह 'जीव री जात' को साहित्य अकादमी अवार्ड प्राप्त होने पर एवं राजस्थानी भाषा व साहित्य के उन्नयन हेतु उनके द्वारा किए गए प्रयासों के लिए | साहित्य-सृजन का राणा बाई सम्मान | |
श्री रामस्वरूप 'किसान' निवासी परलीका (नोहर) | श्रम और सृजन के समन्वय के सशक्त कवि एवं कथाकार के रूप में तथा खेत-खलिहान में पसीने से टपकते साहित्य का सृजन करने के लिए | साहित्य-सृजन का राणा बाई सम्मान | |
स्व चौधरी बहादुर सिंह भोबिया निवासी बिडंगखेड़ा | समाज के नाम से राजस्थान में पहला स्कूल 9 अगस्त 1917 को 'जाट एंग्लो संस्कृत स्कूल, संगरिया' नाम से खोलकर समाज मे शिक्षा- जागृति की अगुवाई करने के लिए | शिक्षा-पुरोधा का सम्मान | |
स्व चौधरी हरिशचंद्र नैण निवासी गंगानगर | समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु प्रदत सक्रिय सहयोग एवं सामाजिक सरोकारों में उनकी भूमिक के लिए | समाज-शिरोमणि सम्मान | |
स्व चौधरी जीवणराम पूनियां | भजनोपदेशक के जरिए समाजसुधार एवं समाज-जागृति में सक्रिय योगदान के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
कॉ. मोहर सिंह | भजनोपदेशक के जरिए समाजसुधार एवं समाज-जागृति में सक्रिय योगदान के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी हीरासिंह चाहर निवासी पहाड़सर (राजगढ़) | भजनोपदेशक के रूप में मारवाड़ क्षेत्र में समाज-जागृति और समाज- सुधार में सक्रिय योगदान के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी हनुमानसिंह बुड़ानिया निवासी दुधवा खारा | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी कुम्भाराम आर्य निवासी फेफना | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी लाधूराम खीचड़ निवासी सुजानगढ़ | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी बुधराम डूडी निवासी सीतसर | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी चुनाराम चाहर निवासी कांगड़ | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व स्वामी नित्यानन्द (पूनियां) निवासी खींचीवाला | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी दौलतराम सारण निवासी ढाणी पांचेरा | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी कुरड़ाराम थालोड़ निवासी घुमान्दा | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी मेघसिंह आर्य निवासी खारिया कनीराम( सुजानगढ़) | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व बुधराम कटेवा निवासी भरतीयों की ढाणी (रतनगढ़) | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी चन्दगीराम कड़वासरा निवासी नेशल छोटी | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी हरदत्त सिंह बेनीवाल निवासी भादरा | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
स्व चौधरी हंसराज आर्य निवासी घोटड़ा, भादरा | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
भीमसेन बेनीवाल, निवासी लूणकरणसर, बीकानेर | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
माम राज गोदारा, निवासी लूणकरणसर, बीकानेर | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | मरणोपरांत सम्मान | |
डॉ भागीरथ माचरा निवासी अमरसर (बीदासर) | सांडवा में स्वामी केशवानन्द छात्रावास के निर्माण में योगदान के लिए | सम्मान-पत्र (जीवित) | |
श्री हरिराम ढ़ाका निवासी नोरंगसर (सुजानगढ़) | मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए | सम्मान (जीवित) | |
श्रीमती प्रियंका चौधरी (तरड़) निवासी झाड़ेली | NRI (UK) देश-विदेश में सामाजिक सरोकारों को आगे बढ़ाने के लिए | सम्मान (जीवित) |
समाज-जागृति के सौ साल पर स्मारिका का प्रकाशन और भविष्य की कार्य-योजना:31.8.2017
स्मारिका का प्रकाशन: शिक्षा के प्रचार-प्रसार और सामन्ती उत्पीड़न के मुक्ति संघर्षों के इतिहास को आलोकित करते हुए समाज-जागृति के सौ साल शीर्षक से एक स्मारिका इस अवसर पर प्रकाशित की गई जिसका विमोचन समारोह में किया गया।
बीकानेर संभाग के सभी जिलों का भू-भाग प्राचीन काल में अनेक नामों से जाना गया है, यथा- मरूदेश, जांगलदेश, बागड़देश आदि। यहाँ का ऋग्वेद और महाभारत काल से लेकर प्राचीन इतिहास स्मारिका में दिया गया है। स्मारिका में जिन जाट गणराज्यों का वर्णन किया है उनमें शामिल हैं: यौधेय जाटगण; जोहिया जाट; सात बड़े जाट जनपद - गोदारा, सारण, सोहुआ, कसवा, सिहाग, बेणीवाल, पूनिया; जोहिया वंश के जाट - कुलडिया, कुहाड़, दूलड़, भाटी, मोहिल, खीचड़; चौहान संघ के जाट - बुरड़क, सुहाग, रोज, भूकर, डूडी, मोठसरा, दहिया, भड़िया; जाटों के अन्य ठिकाने - जाखड़, भादू, नैण, चाहर, कालेर, सींवर, घनघस, गुलेरिया। लेख में संभावित जाट गोत्र जिनके इतिहास की खोज की आवश्यकता है वे भी बताए गए हैं। इनका इतिहास बड़वा या भाट से प्राप्त कर संकलित किया जावे। इनमें से पूनिया, दहिया, जाखड़ आदिकालीन जाट गोत्र हैं। इनकी उत्पत्ति शिव से मानी गई है। लगभग 6000 साल पहले।
इस आयोजन का दिन और स्थान बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह दिन हमारे पूजनीय लोकदेवता तेजाजी का बलिदान दिवस तेजा-दशमी है। तेजाजी इसी दिन भाद्रपद शुक्ल दशमी शनिवार विक्रम संवत 1160 (तदनुसार 28 अगस्त 1103) के तीसरे प्रहर शहीद हुये थे, ठीक 914 साल पहले।
यह समारोह इस विषय पर विचार विमर्श करने हेतु विद्यार्थी भवन रतनगढ़ में रखा गया है। स्थान का चयन रतनगढ़ रखा जाना सभी दृष्टियों से उचित प्रतीत होता है। रतनगढ़ तहसील की संस्कृति अति प्राचीन है। इसको राजस्थान की काशी के नाम से भी जाना जाता है। रतनगढ़ का पहले नाम कोहलासर था। यह कोहला नाम के कसवा जाट ने 11 वीं शदी में बसाया था। कसवा रतनगढ़ और चुरू के शासक थे इनका प्रमुख ठिकाना सीधमुख था। कंसुपाल कसवा उनका मुखिया था तथा 400 गाँवों पर उसकी सत्ता थी। 19 अगस्त 1068 को कंसुपाल कसवा सीधमुख आया था। कंसुपाल के बाद कोहला सीधमुख के शासक हुए। कोहला ने ही कोहलासर बसाया। कसवा कुषाण का ही परिवर्तित नाम है। कुषाण के बाद यौधेय, जोहिया, सिहाग और राठौड़ यहाँ के शासक रहे। रतनगढ़ नामकरण बाद में राठौड़ नरेश द्वारा किया गया। सिहाग जाटों का जब यहाँ से स्वामित्व समाप्त हो गया तो राठौड़ नरेश सूरत सिंह ने 1803 में अपने पुत्र रतन सिंह के नाम पर रतनगढ़ रखा।
रतनगढ़ में जाटों में शिक्षा का इतिहास कम से कम 160 साल पुराना है। बीकानेर संभाग में शिक्षा के अग्रदूत हरीश्चंद्र जी नैण के पिता चौधरी रामूराम जी (1848-1911 ई.) के पुरखे कई पीढ़ी पहले से बछरारा में आबाद थे। उन्होने रतनगढ़ में एक साधू मोतीनाथ जी से शिक्षा प्राप्त की थी। यह समय लगभग प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम 1857 के आस-पास का था। बाबा मोतीनाथ जी का जन्म राजपूत घराने में हुआ था। रतनगढ़ में अब भी ‘बाबा मोतीनाथ जी की बगीची’ उनका स्मरण कराती है।
इस सम्मेलन में विगत 100 वर्ष से अधिक काल के संघर्ष और उपलब्धियों की समीक्षा उपरांत समाज के समग्र और संतुलित विकास के लिए भविष्य की रूप-रेखा तैयार कर प्रस्तुत की गई।
समाज सुधार हेतु भविष्य की कार्य-योजना: समाज सुधार का कार्य वह होता है जो अपने व्यक्तिगत कामों के अलावा बिना किसी स्वार्थ के समाज के लिए किया जाता है। यह उस कार्य का प्रतिफल होता है जिससे समाज ने हमें यहाँ तक पहुँचने में मदद की। ऐसे कार्यों को हम खुद ही कर सकते हैं यदि हम ऐसा तय करलें तो। हम हमारे जमाने में अत्यधिक कठिन परिस्थितियों मे थे और आगे बढने के लिये बहुत संघर्ष करना पड़ा परन्तु आज परिस्थितियां बदल गई हैं। आज आगे बढ्ने के लिए पर्याप्त अवसर और सुविधाएं हैं।
समाज की विरासत: समाज एक तभी रहता है जब हमारे कोई एक प्रतीक चिन्ह या विरासत विद्यमान हों। हमारे राजा, किले, स्मारक, भगवान, भोमिया, जुझार, जठेरा, देवरी, मंदिर, सती, कुलदेवता, महापुरुष समाधि स्थल, कुये, बावड़ी, धर्मशाला, छात्रावास, भवन, जोहड़, तालाब, शिलालेख आदि बिखरी हुई धरोहरों को खोज कर समाज की जो विरासत हैं उनको संरक्षित और लिपिबद्ध किए जाने की आवश्यकता है।
जाट संस्कृति और परंपरा को जिंदा रखना: जाट एक आदिकालीन समुदाय है और प्राचीनतम क्षेत्रीय वर्ग है जिसकी अनेक अनुपम विशेषताएं हैं। व्याकरण के विद्वान पाणिनि का जन्म ई. पूर्व आठवीं-पाँचवीं शताब्दी में प्राचीन गंधार राज्य के सालतुरा गाँव में हुआ था, जो इस समय अफगानिस्तान में है, उन्होंने अष्टाध्यायी व्याकरण में 'जट' धातु का प्रयोग कर 'जट झट संघाते' सूत्र बना दिया। जाट का अर्थ भी यही है कि जिस जाति में बहुत सी ताकतें एकजाई हों यानि शामिल हों, एक चित हों, ऐसे ही समूह को जाट कहते हैं।
गोत्र और खाप : इसकी सामाजिक सरंचना बेजोड़ है। इस जाति ने आदिकाल से कुछ सर्वमान्य सामाजिक मापदण्ड स्वयं ही निर्धारित कर रखे हैं और इनके सामाजिक मूल्यों का निरंतर संस्तरण होता आ रहा है। जाट समाज की गोत्र और खाप व्यवस्थाएं अति प्राचीन हैं और आज भी इनका पालन हो रहा है। जाट समाज में अपने वंश गोत्र के लोग परस्पर भाई-भाई की तरह मानते है। हम गोत्र के नाम पर ही उपनाम रखें न कि चौधरी या जाट। गोत्र हमारा DNA है। इसमें इतिहास छुपा है।
कुवा पूजन, माण्डा रोपना, चाक पूजा, साथिया लगाना: समाज में आजकल नई-नई गलत परम्परायें कायम हो रही हैं। मैने देखा कि गांव में कुछ लोगों ने शादियों के समय पालन की जाने वाली माण्डा रोपना या चाक पूजा करना या बच्चे के जन्म पर साथिया लगाना जैसे काम बंद कर दिये हैं और वे कहते हैं कि हम प्रोग्रेसिव हो गये हैं। मैने समझाया कि ये हमारी अति प्राचीन वेदिक परम्परायें हैं और हर परम्परा का अपना इतिहास और औचित्य है। महाभारत के एक अध्याय में वासु जब नये राज्य चेदी पर विजय प्राप्त करते हैं तो राज्य के फ़लने फ़ूलने के प्रतीकात्मक रूप में बांस के पौधे रोपते हैं। यह आज भी हम बांस का माण्डा रोप कर याद करते हैं। चाक पूजा मानव के विकास-क्रम में पहिये और मटके के आविष्कार की याद दिलाती हैं। कुम्हार की तो अर्थव्यवस्था ही इस पर निर्भर है। कुम्हार इसी लिए प्रजापति कहलाता है। साथिया लगाने पर खोज की आवश्यकता है। इसमें गाय के गोबर से बच्चे के जन्म पर उस मकान पर एक सूर्य का चक्र और दूसरा स्वस्तिक का चक्र बनाया जाता है। इन परम्पराओं में ज्यादा खर्च नहीं होता है। इसलिये मेरा अनुरोध है कि इन प्राचीन परम्पराओं को जिन्दा रखा जावे ।
इतिहास लेखन - जाट समाज के हर सदस्य से अनुरोध करूंगा कि जाट इतिहास पढ़े, समझें और अन्य भाईयों को भी बतावें। हम स्कूल कालेजों में मुगलों का इतिहास पढ़ते हैं, राजपूतों का इतिहास पढ़ते हैं परन्तु जाटों का इतिहास नहीं पढ़ने को मिलता। यदि पाठ्य पुस्तकों में कहीं जाट शब्द आता है तो केवल इतना आता है कि जाट एक लुटेरे या विद्रोही जाति रही है। यह इसलिए कि जाटों ने हमेशा विदेशी आक्रामकों का विरोध किया और देश में भी गलत ढंग से संचालित व्यवस्थाओं का विरोध किया है। जाट समाज का उचित ढंग से इतिहास अभिलेखित नहीं किया है। समय-समय पर जाटों का विभिन्न समुदायों से वर्ग संघर्ष होता रहा है और इसमें जाट इतिहास लुप्त कर दिया गया। इस बात का उल्लेख गोरख सिन्हा द्वारा नौवीं शदी में लिखित देवसंहिता में किया गया है। पार्वती शिव से पूछती है जाट कौन हैं, उनका इतिहास क्यों नहीं प्रकाश में आया। शिवजी समझाते हैं कि जाट पृथ्वी के सबसे पहले क्षत्रिय और राजा हैं। इस इतिहास में विप्र जाति एवं देव जाति का गर्व खर्च होता है । इस कारण इतिहास वर्णनकर्ता कविगणों ने जाट जाति के इतिहास को प्रकाश नहीं किया है। अब समय की मांग है कि अब जाट इतिहास संकलित किया जावे।
सर्व-समाज का मनोबल ऊंचा करने के लिये हर समाज का तथ्यपरक सन्तुलित इतिहास का होना और इसकी जानकारी विद्यार्थियों को होना आवश्यक है। समाज वैज्ञानिक कहते हैं कि किसी कौम को समाप्त करना है तो उसके इतिहास को लुप्त करादो और उसमें हीन भावना पैदा करदो वह कौम स्वयं ही समाप्त हो जायेगी। मुगलों के लगातार आक्रमण और लम्बे समय तक राज करने से भारतीय इतिहास में असन्तुलन पैदा हो गया। हम अकबर को महान कहते है, सिकंदर को महान कहते हैं, जो विदेशी आक्रांता थे, पर महाराजा सूरजमल को महान क्यों नहीं कहते? भारत में एक मात्र किला भरतपुर का लोहगढ़ था जिसपर अंग्रेज़ सेना कब्जा नहीं कर सकी थी।
इतिहास की महता के दो उदाहरण: पहला उदाहरण - ठठावता गांव की एक बारात मई के महिने में कुछ कोस दूर दूसरे गांव गई। कुछ दूरी पर बारातियों को प्यास लगी तो एक प्याऊ पर रुके। प्याऊ एक मूछदार व्यक्ति ने लगा रखी थी। बारात में सभी जातियों के लोग थे। किसी ने प्याऊ वाले की जाती पूछ ली। वह बोला बावरिया हूं। जाटों और अन्य जातियों के लोगों ने पानी पी लिया। राजपूतों ने पानी पीने से मना कर दिया। बावरिये ने पूछा क्या हो गया प्यास नहीं है? वे बोले तुम नीची जाती के हो। बावरिया प्याऊ के अन्दर गया और एक मोटी सी बावरिया के इतिहास की किताब लाया और बोला पढो - जब राजपूत जाति का अस्तित्व नहीं था तब हम राजा थे। आपका इतिहास कबसे है? सबने वह अध्याय पढा और मान गये तथा पानी पी लिया। हर जाति अपना प्रामाणिक इतिहास संकलित करे तो ऊंच-नीच की कृत्रिम रूप से पैदा की गई भावना खत्म हो सकती है।
दूसरा उदाहरण: आजकल कई लोग कहते हैं जाट तो हिन्दू की श्रेणी में नहीं हैं। उनका इतिहास नहीं है। उन्होने देश के लिए कुछ नहीं किया। ऐसे ही एक कट्टर हिन्दू मित्र ने जाटलैंड मोडरेटर से भी कह दिया। उन्होंने पूछा- महमूद गजनी ने कितने आक्रमण देश पर किए थे। उत्तर मिला -17 बार। आपके पीढ़ियों में किसी ने उस आक्रांता का सामना किया था ? बोले – नहीं। जाटलैंड मोडरेटर ने कहा मेरे पूर्वज राव बुरड़कदेव और समुद्रपाल ने वर्ष 1000 ई. और 1010 ई. में हिंदुशाही सेना की तरफ से महमूद गजनी का सामना लाहोर और वैहिन्द में किया था और लड़ाई में मारे गए थे। उनकी पत्नियाँ ददरेवा और सांभर में सती हुई थी। वे बुरड़क जाट ही थे, बिना प्रमाण के ऐसा न कहें।
समय की मांग है कि अब समग्र जाट इतिहास संकलित किया जावे। जाट कीर्ति संस्थान चूरु द्वारा चूरू अंचल के जाट इतिहास का लेखन कार्य हाथ में लिया गया है। जयपुर स्थित तेजा फ़ाउंडेशन द्वारा भी राजस्थान के जाटों का इतिहास संकलन का कार्य किया जा रहा है। यह एक सराहनीय पहल है। आप अपने बड़वा से जानकारी प्राप्त करो। अपना इतिहास मिल जाएगा। तेजा फ़ाउंडेशन जयपुर इसमें आपकी मदद करेगा।
जाटलैंड वेबसाइट (https://www.jatland.com) - जाट समाज में कोई 6000 से अधिक गोत्र हैं। सन 2000 से जाटलैंड वेबसाइट पर जाट गोत्रों की उत्पत्ति की खोज करना शुरू किया था। जितने उपलब्ध अभिलेख थे उनकी खोज कर जाटलैंड वेबसाइट पर डाली गई। आप को जानकर ताज्जुब होगा कि इस साईट पर अब हम हमारा इतिहास, गोत्रों का इतिहास, गाँवों का इतिहास (12000) आदि संकलित करने में सफल हो रहे हैं। इसमें आप भी योगदान कर सकते हैं। दुनिया भर के हमारे प्रबुद्ध सदस्य इसमें योगदान कर रहे हैं। आप इसमें खुद जोड़ सकते है। यह एडिटेबल साईट है जो कोई भी जाट भाई सदस्य बन कर योगदान कर सकता है। समस्या हो तो मॉडरेटर को भी भेज सकते हैं।
शुभ संकेत: समाज के लिए यह गौरव की बात है कि समाज के द्वारा किए गए प्रयासों के परिणाम स्वरूप पाठ्यपुस्तकों में अब जाट इतिहास और महापुरुषों का समावेश हो गया है। उदाहरणार्थ NCERT पुस्तकों में यह समावेश हो चुका है कि गुप्त सम्राट धारण गोत्र के जाट थे। (भारत का इतिहास - कुलदीपराज दीपक, अध्याय-12, कक्षा-11) तेजाजी और महाराजा सूरजमल के डाक टिकट इसलिए जारी हो सके थे कि उनकी सम्पूर्ण जानकारी, जन्म तिथि सहित, इन्टरनेट पर उपलब्ध थी। महाराजा सूरजमल और शेखावाटी किसान आंदोलन ने भी पाठ्यपुस्तकों में स्थान बनाया है। (भारत का इतिहास, कक्षा-12, रा.बोर्ड, 2017)
सामाजिक और आर्थिक मुद्दे:
1. रोजगार में आरक्षण: हम अगर मोटा-मोटा विभाजन करें तो पिछले 100 साल में से आधा समय संघर्ष में गया और आधा समय हमारी स्मृद्धि में काम आया। संघर्ष से हमने शिक्षा के अवसर जुटाये और रोजगार पाया। संघर्ष से ही हमने रोजगार में आरक्षण पाया। अब कुछ शक्तियाँ इस आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने पर तुली हैं। हमें सावधानी से और संगठित होकर काम लेना है। जिस अवसर पर आपको मौका मिले अपनी इस व्यथा से सबको अवगत करावें। आरक्षण केवल नाम के लिए नहीं हो बल्कि जनसंख्या के अनुपात में हो, यही हमारी मांग होनी चाहिए। मनलो राजस्थान में जाटों की जनसंख्या 20 प्रतिशत है तो आरक्षण इससे कम देने यथा 10 प्रतिशत दिया जावे तो हमें नुकसान होगा। क्योंकि मेरिट में आने वाले को भी अब इस कोटे तक ही सीमित होना होगा। अन्य पिछड़ा वर्ग में भी अपना कोटा सीमित होने जा रहा है। इसके लिए भी संघर्ष करना पड़ेगा। यह शुभ संकेत है कि भरतपुर और धोलपुर के जाटों को भी 23.8.2017 को आरक्षण मिल गया है।
2. भूमि अधिग्रहण कानून: किसानों को हमारे पूर्वजों के संघर्ष से भूमि पर अधिकार मिला। अब इस पर भी खतरा मंडराने लगा है। वर्ष 2014 में 4 बार अध्यादेश आया भूमि अधिग्रहण कानून को कमजोर कर किसानों की जमीन हड़पने के लिए। किसानों के दवाब में सरकार को झुकना पड़ा परंतु बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ फिर ज़ोर लगावेंगी। खतरा फिर सामने है। हमें हर लेवल पर किसान की भूमि के अधिकार के लिए लड़ना होगा।
3. संस्थागत संरचना का विकास: किसानों की आवाज को शक्ति मिले और सुनवाई हो इसके लिए संस्थागत संरचना तैयार होना बहुत जरूरी है। हर जिले, तहसील और गाँव में समाज के पास एक समाज सुधार संस्था हो और समाज सुधार कोष हो जो जरुरतमंद लोगों के लिये काम आये तभी लोग समाज से जुडते हैं। हम अपनी आय में से कम से कम 1 प्रतिशत धन समाज के कार्यों के लिये खर्च करे। जिस के पास धन की कमी है वे श्रम-दान या समय-दान कर समाज को कुछ दे सकते हैं। समाज सुधार के कार्यों के लिये एक कार्य आयोजना बने तथा इसे लागू करने के लिए कार्य-दल बने। जाट कीर्ति संस्थान एक अच्छा उदाहरण है। इससे जुड़कर हम कुछ प्रयास कर सकते हैं।
4. फिजूल-खर्च, कर्म-कांड, पाखंड आदि रोकना: जो स्मृद्धि हमने पाई है उसको बनाए रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए हमें कुछ गलत परम्पराओं को छोड़ना चाहिये। गलत परम्पराओं को छोड़ने से जो पैसा बचेगा उसका उपयोग समाज के सामूहिक विकास के लिए हो। हमें फिजूल खर्च, कर्म-कांड, पाखंड आदि को रोकना पड़ेगा। हमें किन परम्पराओं पर कितना खर्च करना है यह समाज तय करे ना कि दुकानदार या पंडितजी।
5. दहेज-प्रथा: जिसमें हम लाखों खर्च करते हैं और जो हमारी इन प्रतिभाओं को सीधा प्रभावित करती हैं। ये हमारी प्रतिभावान बच्चियां पढ लिख कर ऊंचे पदों पर जावें और इनके पिता दहेज भी दें इस बात का समाज के कर्णधारों के पास क्या जवाब है। इनके मा-बाप पढाई के बाद शादियों में क्यों और कहां से इतना धन लायेंगे। दहेज प्रथा पर सभी समाजों में सामूहिक रूप से निर्णय कर रौक लगाने की आवश्यकता है। गुजरात में इस प्रथा पर बहुत नियंत्रण है।
6. मृत्यु-भोज: माता-पिता का जिन्दा रहते खयाल रखें मरने के बाद लाखों खर्च करने का औचित्य नहीं है। कुछ जिलों मे सामूहिक रूप से रौक लगी है पर सभी जिलों में नहीं है। यह समाज को ही रोकना पड़ेगा।
7. छूछक प्रथा: इसमें आजकल लाखों खर्च कर रहे हैं। मेरा सुझाव है कि बच्चे के नाम की नियमित अफ़. डी. करा दी जावे जिससे उसकी पढाई में मदद हो सके।
8. नशा उन्मूलन: समाज को बर्बाद कर देगा। इसे रोकने के लिये समाज को मनोयोग से आगे आना पड़ेगा। नशा उन्मूलन हेतु सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता है।
9. युवा वर्ग को मार्गदर्शन : छात्रों को प्रतियोगिता के लिये सतत प्रोत्साहित करे तो हमारे बच्चे भी बहु संख्या में शासकीय सेवाओं में आयेंगे। बच्चों को अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार पढाई और कैरियर का चयन करने दें। भटकाव अगर आता है तो प्रतिभा कुण्ठित होने से पहले ही भटकाव को रोकें। यह अभिभावक और समाज का दायित्व है। भरत सारण जैसे हमारे युवा बाड़मेर में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। तेजा फ़ाउंडेशन जयपुर के अंतर्गत समाज के गरीब बच्चों के लिए उड़ान कोचिंग सेंटर शुरू किया है। ईसरान साहब, डी. सी. सारण साहब और रामस्वरूप चौधरी साहब ने इसमें उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पानेवाले प्रतिभावों और खिलाड़ियों यथा कृष्णा पूनियाजी, देवेंद्र झझडिया जी को समाज के युवा-वर्ग से रूबरू किया जावे जो उबको आगे बढ्ने का मनोबल बढ़ाएगा। किसान के रूप में हम बहुत अच्छे प्रबन्धक है। वह ख़राब पौधों (खरपतवार) को समाप्त कर अच्छे अन्न उत्पादक पौधों की फसल तैयार करते हैं और समाज का पेट भरते हैं तो क्या हम हमारी नई पौध छात्रों को दिशा निर्देश देकर उनका समुचित विकास नहीं कर सकते ? इसमें समाज का सहयोग जरूरी है।
10. पर्यावरण संरक्षण: बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना पैदा की जावे और देश और अन्य समाजों को समझने के लिये प्रतिवर्ष भ्रमण आयोजित किये जावें। राजस्थान में भ्रमण की प्रवृति बहुत कम है जबकि गुजरात और बंगाल के बच्चों में यह ज्यादा है। वहाँ शासन की तरफ से भ्रमण की व्यवस्था की जाती है।
11. पारस्परिक सम्मान और सामाजिक सद्भाव बढ़ाना: भारत को आजाद हुये 70 साल हो गये। परन्तु आज पारस्परिक सम्मान और सामाजिक सद्भाव कम हो रहा है। यह दुख दाई है। तेजाजी के जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। तेजाजी समान विचारवालों वाली मित्र-मंडली में मुख्य थे – पांचू मेघवाल, खेता कुम्हार और जेतराज जाट। उनका अंतिम संदेशवाहक था - आसू देवासी। तेजाजी ने पांचू मेघवाल को उस समय मंदिर में प्रवेश दिलाया था जब दलितोद्धार की कोई कल्पना भी नहीं करता था। इसी तरह कुंभाराम आर्य ने भी ऊंच-नीच की भावना खत्म करने के लिए बहुत काम किया था। आजकल सोशियल मीडिया बहुत उपयोगी है इसका नकारात्मक उपयोग न कर समाज में सद्भाव बढ़ाने में उपयोग किया जावे।
जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ -2017
दिनांक 31.12.2017 को जाट बौद्धिक मंच रतनगढ द्वारा प्रतिभा सम्मान समारोह- 2017 ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ में आयोजित किया गया।
समारोह में 10 वीं और 12 वीं कक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले 150 प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित किया गया.
सिविल सेवा में चयनित 40 कर्मियों व राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर की खेल-कूद प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया।
समारोह के मुख्य वक्ता श्री जितेंद्र महला थे।
मंच की अध्यक्षता श्री भँवरलाल डूडी द्वारा की गई जिनके द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम के दौरान मोहन बाना द्वारा छात्रावास विकास के लिए 5 लाख रुपये के आर्थिक सहयोग की घोषणा की गई।
मंच सचिव मुकंदाराम नेहरा के द्वारा यह जानकारी भेजी गई है।
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जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ: दिनांक 31.12.2017
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जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ: दिनांक 31.12.2017
जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ - 2019
दिनांक 13.1.2019 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ में जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की ओर से जाट समाज की प्रतिभाओं का सम्मान किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उदासर धाम के महंत दयानाथ महाराज थे. इस अवसर पर समाज की 220 प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी नरेंद्र डूडी, जिला कोषाधिकारी पवन कुमार कसवा, सहायक निदेशक ओमप्रकाश फगेडिया, प्रधान गिरधारीलाल बांगडवा, किसान नेता पूसाराम गोदारा मंचस्थ थे. बौद्धिक मंच के अध्यक्ष भंवरलाल डूडी व सचिव मुकंदाराम नेहरा ने अतिथियों का स्वागत किया. समारोह की जानकारी जानकारी सचिव मुकंदाराम नेहरा द्वारा भेजी गई हैं.
जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ-2021
जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ द्वारा प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन शनिवार 6.11.2021 को ग्रामीण किसान छात्रावास में आयोजित किया गया। पूर्व परियोजना निदेशक सुगनाराम कटेवा कार्यक्रम के अध्यक्ष और डूंगर कालेज के प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी मुख्य वक्ता थे। कार्यक्रम का संचालन पूराराम गांधी व श्रवण महिया द्वारा किया गया। इस अवसर के कुछ चित्र यहाँ दिये गए हैं।
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प्रतिभा सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि श्री श्याम सुंदर जी ज्याणी प्रोफेसर डूंगर कालेज बीकानेर का सम्मान करते हुए।
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प्रतिभा सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता श्री श्याम सुंदर जी ज्याणी प्रोफेसर डूंगर कालेज बीकानेर।
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प्रतिभा सम्मान समारोह में दर्शक
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जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के प्रतिभा सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि श्री श्याम सुंदर जी ज्याणी प्रोफेसर डूंगर कालेज, विशिष्ट अतिथि श्री मनोज कुमार जी मूंड, श्रीमती मोहनी देवी प्रधान रतनगढ़, श्री सुगनाराम जी कंटेवा, श्री भंवरलालजी डूडी, श्री मुकन्दा राम नेहरा।
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जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ में सम्मानित होने वाले प्रतिभा तथा कार्यक्रम के मुख्य वार्ताकार श्री श्याम सुंदर जी ज्याणी प्रोफेसर डूंगर कालेज बीकानेर, श्री जस्साराम जी चौधरी सेवा निवृत्त राजस्थान प्रशासनिक अधिकारी, श्री मनोज कुमार जी मूंड श्रीमती मोहनी देवी प्रधान रतनगढ़ के सानिध्य में।
जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ-2022
रविवार 1 जनवरी 2023 को जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की ओर से प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के प्रांगण में किया गया। इसमें मुख्य अतिथि व वक्ता पूर्व कुलपति डॉ गंगाराम जाखड़ गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर थे। आप सेवा निवृत्त के पश्चात शैक्षिक गतिविधियों एवं सामाजिक सरोकारों में निरन्तर भागीदार रहे हैं। आप जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में आचार्य रहे। तथा जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में सीनेट के तीन बार निर्वाचित सदस्य एवं विश्व विद्यालय सींडिकेट के पांच बार शिक्षक प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित सदस्य रहे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राचार्य श्री एच.आर.ईसराण अन्य विशिष्ट अतिथि डॉ.संतोष कुमार आर्य पी.एफ.ओ.जिला अस्पताल रतनगढ़, डॉ सुखवीर सिंह कस्वां चिकित्सक, श्री सुभाष बिजारणियां थानाधिकारी रतनगढ़ , श्री पूसाराम गोदारा, श्री इंद्रराज खीचड़, नव नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर श्री नानूराम राव (दिव्यांग), नव नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर संदीप डूडी सीतसर , श्री सहीराम गोदारा के पी एस ग्रुप आफ एजुकेशन रतनगढ़, तथा श्री सुगना राम कटेवा अध्यक्ष ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ आदि मंचासीन रहे।
इस कार्यक्रम में कक्षा 10 के 71 कक्षा 12 के 101 तथा अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में 63 प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। इसमें 7 सेवा निवृत्त कार्मिकों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की सम्पूर्ण टीम तथा सम्मानित होने वाले प्रतिभाऐं एवं गणमान्य सुधिजन उपस्थित रहे। इस वर्ष का कार्यक्रम ऐतिहासिक रहा। इस कार्यक्रम में लगभग 800 से अधिक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती, महाराजा सूरजमल जी, स्वामी केशवानंद जी तथा कुम्भा राम जी की फोटो पर मंचासीन व जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के पदाधिकारियों ने माल्यार्पण किया।
कार्यक्रम में सभी मेहमानों का जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की टीम द्वारा माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री मुकन्दा राम नेहरा ने सभी मेहमानों, प्रतिभाओं, सभी आगंतुकों का जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की टीम की ओर से हार्दिक शाब्दिक स्वागत किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ गंगाराम जाखड़ ने कहा कि अनुभव से सीखा गया ज्ञान चिर स्थाई होता है। विद्यार्थी के लिए पुस्तक सबसे अच्छी मित्र होती है। समाज में आपस में सौहार्द के वातावरण में अगर प्रतिस्पर्धा की जाए तो विकास की संभावना बढ़ जाती है। वर्तमान की शिक्षा पद्धति को पूंजीवादी बताते हुए कहा कि समाज शिक्षण संस्थानों के को अगर प्रोत्साहन देता है तो ही समाज का सर्वागीण विकास संभव है। विशिष्ट अतिथि प्रो. एचआर ईशराण ने कहा कि प्रतिभाओं को जीवन में अच्छे व बुरे के भेद को जानकर आगे बढ़ना चाहिए। कांग्रेस नेता दो पूयाराम गोदारा ने रटने की बजाय सृजनात्मकता पर ध्यान देने की नसीहत दी। साथ ही बताया कि इच्छा के साथ एक मजबूत संकल्प की महति आवश्यकता है। कांग्रेस नेता इंद्राज खीचड़ ने समाज के गणमान्य नागरिकों से छात्रावास के प्रति जागरूक रहकर इसके विकास पर बल देने का आह्वान किया। सीआई सुभाष । सीआई सुभाष बिजारणिया व पीएमओ डॉ. संतोष आर्य ने सामाजिक बुराइयों से दूर रहने की प्रेरणा दी। इस कार्यक्रम में श्री सुभाष बिजारणियां ने युवाओं से आह्वान किया कि आज के युग में युवाओं को गैंगस्टर के सम्पर्क व साइबर अपराध से बचना चाहिए।
कार्यक्रम में सभी मंचासीन मेहमानों ने विचार व्यक्त किए तथा जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के सचिव श्री महेन्द्र डूडी ने सभी पारितोषिक को सुव्यवस्थित रूप में वितरण में सहयोग किया तथा अंत में सभी को धन्यवाद दिया।
प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन सहीराम गोदारा ओमप्रकाश गोदारा केपीएस ग्रुप ऑफ एजुकेशन के सौजन्य से किया गया। केपीएस ग्रुप ऑफ एजुकेशन के सहयोग से हुए समारोह को पूर्व प्रधान गिरधारीलाल बांगड़वा, सहीराम गोदारा व ओमप्रकाश गोदारा ने भी संबोधित किया।
इस मौके पर, सीबीईईओ भंवरलाल डूडी, पीएमओ डॉ संतोष आर्य, डॉ राजेश धायल, सोहनराम चबरवाल, दुर्गाराम भारी, रामकृष्ण थालोड़, पूर्व प्रधान गिरधारीलाल बांगड़वा, नानूराम बिरड़ा, सज्जन बाटड़, पवन सेवदा, महेंद्र डूडी, बजरंग,भंवरलाल पूनिया, बृजलाल खीचड़, खींवा राम ख्यालिया, मदनलाल घिंटाला, गोविंदराम ढाका, भागीरथ खीचड़, चंद्रप्रकाश बुडानिया, शिवलाल ढेवा, पप्पू कड़वासरा, तिलोक बिसु, राजकुमार सिहाग, विक्रमपाल थालोड़, पूराराम गांधी, भागीरथ सिहाग, गंगाधर थालोड़, चंद्रप्रकाश चिंटाला, परमाराम नेहरा, मोहनलाल नैन, परतुराम सिहाग, रामेश्वरलाल सुंडा, चेतनराम ज्यानी, हीरालाल नैन, श्रवण सहू सहित सैकड़ों प्रतिभाएं और अभिभावक उपस्थित थे।
कार्यक्रम में कक्षा 10 के मनीष, उषा, दिव्या, कुलदीप, पायल, रूचिका, नितेश, हितेश, दिया, पार्वती, राजकुमारी, पवन, विद्याधर, अंकित, रामकिशन, दीपक कुमार, अमित, प्रकाश, शर्मिला, हजारी, दिनेश, आकाश, ममता, नेमीचंद, आंचल, द्रोपदी, प्रतिभा, गरिमा, कंवल, हितेश, मोनिका सहित 71, कक्षा 12 में अर्चना, निकित, जयप्रकाश, रूचिका, अरविंद, वीरेंद्र, महेंद्र, आनंद, संतोष, भाग्यश्री, विकास, कृष्णा, पुष्पा, सरोज, मनीषा, सुनिता, अभिषेक, मोनिका, प्रियंका, भरत, उर्मिला, सुरेंद्र, अभिषेक, मनीषा, मुनकेश, विनोदकुमार, अनिशा, महावीर माया, पूनमचंद सहित 235 लोगों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन श्रवण महिया व शुभकरण नैण ने किया।
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जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ: 01.01.2023
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के पी एस ग्रुप आफ एजुकेशन रतनगढ़ के श्री सहीराम जी गोदारा व ओमप्रकाश जी गोदारा द्वारा विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राचार्य श्री हनुमाना राम जी ईसराण का अभिनंदन।
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मुख्य अतिथि श्री गंगाराम जी जाखड़ अपनी नैसर्गिक मुद्रा
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दर्शक दीर्घा में सम्मानित होने वाले प्रतिभाऐं।
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दर्शक दीर्घा
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दर्शक दीर्घा
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दर्शक दीर्घा
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मुख्य अतिथि श्री गंगा राम जी जाखड़।
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मुख्य अतिथि श्री गंगा राम जी जाखड़ का उद्बौधन
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कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राचार्य श्री हनुमाना राम जी ईसराण का उद्बोधन।
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जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री मुकन्दा राम नेहरा द्वारा मुख्य वक्ता पूर्व कुलपति डॉ गंगाराम जी जाखड़ का उद्बोधन से पूर्व संक्षिप्त परिचय देते हुए।
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जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री मुकन्दा राम नेहरा द्वारा आगंतुकों का शाब्दिक स्वागत भाषण।
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पूर्व प्राचार्य श्री हनुमाना राम जी ईसराण का सोहनलाल चबरवाल द्वारा स्वागत।
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मुख्य अतिथि श्री गंगा राम जी जाखड़ का जिला शिक्षा अधिकारी श्री भंवरलाल लाल जी डूडी द्वारा स्वागत।
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मुख्य अतिथि श्री गंगा राम जी जाखड़ का जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री मुकन्दा राम नेहरा द्वारा स्वागत।
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जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री मुकन्दा राम नेहरा का पूर्व प्राचार्य श्री हनुमाना राम जी ईसराण के सानिध्य के क्षण।
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ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ का मुख्य परिसर का प्रवेश द्वार।
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जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री मुकन्दा राम नेहरा द्वारा नव नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर श्री नानूराम राव (दिव्यांग)का अभिनंदन।
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पूर्व प्राचार्य श्री हनुमाना राम जी ईसराण का ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के अधीक्षक श्री शुभकरण नैण द्वारा स्वागत।
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किसान छात्रावास रतनगढ़ सम्मान समारोह - 2023
19 मार्च 2023 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के सामुदायिक भवन में छात्रावास परिसर में रहने वाले छात्रों का बीच सत्र में विभिन्न नोकरियों में अन्तिम चयन होने पर छात्रावास अधीक्षक श्री शुभकरण नैण के नेतृत्व में जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के सम्मानित सदस्य मय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इन्द्राज जी खीचड़, श्री रामेश्वर जी डूडी, श्री विक्रम पाल थालोड़, श्री मांगीलाल लाल जी रुलाणिया,श्री भागीरथ जी खींचड़, श्री महेन्द्र जी डूडी, श्री राम चन्द्र जी एचरा, श्री भंवरलाल जी डूडी जिला शिक्षा अधिकारी, श्री हरलाल जी डूडी, श्री राम कृष्ण थालोड़, श्री सज्जन कुमार बाटड़ ,श्री मुकन्दा राम नेहरा, श्री बजरंग जी बिस्सु, श्री महेन्द्र जी हुड्डा अन्य गणमान्य लोग तथा छात्रावास के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
किसान छात्रावास रतनगढ़ में जाट बौद्धिक मंच मेगा क्विज प्रतियोगिता 25.06.2023
जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की कार्यकारिणी ने दिनांक 2 जून 2023 को सर्व समाज की मेगा क्विज प्रतियोगिता आयोजित करने का निर्णय लिया। इस हेतु रतनगढ़ शहर व ग्रामीण आंचल में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं की प्रतियोगिता आयोजित करवाने का निर्णय लिया गया। इस परीक्षा का आयोजन स्थल ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ रखा गया। इस हेतु दिनांक 25 जून 2023 की तिथि निश्चित की गई। इसकी लिखित परीक्षा ग्रामीण किसान छात्रावास के मुख्य परिसर में आयोजित की गयी । इसका लिखित प्रश्न पत्र विषय विशेषज्ञ टीम के द्वारा तैयार किया गया। इसमें सामान्य ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रो सम्मिलित किया गया। लिखित परीक्षा में 30 वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिये गये। लिखित परीक्षा में कुल 65 सम्भागियों ने भाग लिया। इनमें से चार सम्भागियों का चयन किया गया। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सम्भागियों को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के सामुदायिक भवन में सभी गणमान्य लोगों के सामने बैठाया गया।
इन प्रतिभागियों को श्री अनवर जी कुरेशी सेवा निवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी, श्री भंवरलाल जी डूडी जिला शिक्षा अधिकारी, श्री धन्नाराम जी प्रजापत प्रधानाचार्य, श्री हरबंस लाल जी जानू प्रधानाचार्य ने मोटिवेशनल स्पीच देकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, आत्मविश्वास,समय प्रबंधन, जीवन का लक्ष्य आदि पर व्याख्यान दिया। इसके पश्चात निर्णायक मंडल ने लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया। मुख्य क्विज में प्रस्तुतकर्ता व क्विज संयोजक श्री मुकन्दा राम नेहरा, बोर्ड स्कोर्र श्री संजय कुमार पुनिया , क्विज नियंत्रक श्री अनवर जी कुरेशी ने मुख्य भूमिका निभाई। सबसे पहले सभी सम्भागियों को अपने उचित स्थान पर बैठाया गया। तथा इनका परिचय कराया गया। इस प्रतियोगिता में दीर्घ चक्र, बजर राउंड व त्वरित चक्र में सम्पादित किया गया।
इस प्रतियोगिता में सूर्य प्रकाश ऐचरा प्रथम स्थान, किशन लाल गोदारा द्वितीय स्थान, प्रदीप सैनी तृतीय स्थान, गजेन्द्र गोदारा चतुर्थ स्थान पर रहे।
इस कार्यक्रम में श्री शुभकरण नैण, श्री महेन्द्र डूडी, श्री राम चन्द्र ऐचरा, श्री कृष्ण थालोड़, श्री मांगीलाल रुलाणिया, रामेश्वर डूडी, श्री सोहनलाल चबरवाल, श्री विक्रम थालोड़, श्री सज्जन कुमार बाटड़, श्री रामचन्द्र खीचड़, श्री रामावतार शर्मा, श्री विनोद वर्मा, श्री तरुण चोटिया, श्री हरलाल डूडी, श्री महेन्द्र हुड्डा , बाबूलाल मूंदलिया, श्री गोपीचंद खींचड़, श्री शिवलाल सिंह ढेवा, श्रीमती विजय लक्ष्मी चौधरी, दुर्गा राम भारी, श्री शिव शंकर शर्मा, श्री मुख राम मैया, श्री मूल चंद डूडी, सुल्तान सिंह भींचर, श्री सुगनाराम कंटेवा, श्री रुकमानंद भींचर, विजय पाल ऐचरा, बृजलाल खीचड, मदनलाल जाखड, नरेंद्र कुल्हरी, श्री अरविन्द कुल्हरी,रुपेश चौधरी, दिनेश कुमार, हेतराम चौहान तथा अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। अंत में सभी विजेताओं को पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम सम्पूर्ण जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की टीम के सहयोग तथा आर्थिक सौजन्य भी जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के द्वारा किया गया।
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मेगा क्विज प्रतियोगिता का पारितोषिक वितरण करते हुए श्री रामेश्वर जी डूडी, श्री शिवलाल सिंह ढेवा,श्री गोपीचंद जी खींचड़, श्री मांगीलाल जी रूलाणिया, राम चन्द्र जी खींचड़ आदि।
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25 जून 2023 को विजेताओं को पुरस्कृत किया गया
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दर्शक दीर्घा
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क्विज प्रतियोगिता का लिखित प्रश्न पत्र।
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सर्व समाज के युवाओं को मौखिक क्विज श्री मुकन्दा राम नेहरा व संजय कुमार पुनिया द्वारा सम्पादित किया गया। यह कार्यक्रम किसान छात्रावास रतनगढ़ के सामुदायिक भवन में आयोजित किया गया है।
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जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के सौजन्य से दिनांक 25 जून 2023 को मेगा क्विज प्रतियोगिता का पारितोषिक वितरण समारोह।
जाट बौद्धिकमंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ- 2023
दिनांक 31.12.2023 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ में जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के तत्वाधान में प्रतिभा सम्मान समारोह-2023 का आयोजन भामाशाह लादूराम थोरी-राम लाल थोरी, निवासी खारिया (रतनगढ़), के सौजन्य से संपन्न हुआ. सम्मान समारोह में कक्षा 10 और 12 में 85 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले 193 प्रतिभाओं, एमबीबीएस, आईआईटी और नवचयनित सरकारी सेवाओं के 164 सहित कुल 357 प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया. समारोह की अध्यक्षता किसान छात्रावास के अध्यक्ष सुगनाराम कटेवा ने की और रतनगढ़ विधायक पूसाराम गोदारा और जिला कांग्रेस अध्यक्ष इंद्राज खीचड़ के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम संपन्न हुआ.
कार्यक्रम में वक्ता शिक्षाविद् श्रीमती सरोजवीर पुनिया और सेवानिवृत प्राचार्य एचआर ईशराण थे. इसके साथ ही गिरधारी बांगड़वा, धर्मवीर जाखड़ संस्थापक आपणी पाठशाला, रतनगढ़ प्रधान श्रीमती मोहिनी खीचड़, रेखाराम खीचड़,महेंद्र न्यौल, गिराधारीलाल खीचड़, नवचयनित आरएएस विनोद कुमार श्योराण , सीबीईओ भंवरलाल डूडी, पीएमओ संतोष कुमार आर्य मंचस्थ थे. इससे पहले समाज के महापुरुषों को गणमान्य अतिथियों द्वारा श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.
सभी अतिथियों का माल्यार्पण के साथ स्वागत किया गया. जाट बौद्धिक मंच के अध्यक्ष मुकन्दाराम नेहरा के द्वारा कार्यक्रम में पधारे अतिथियों और प्रतिभाओं का शाब्दिक स्वागत किया तथा शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डाला. चूरू जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इंद्राज खीचड़ ने समाज की प्रतिभाओं को दिए सन्देश में कहा कि बिना शिक्षा के जीवन अधूरा है इसलिए सभी बच्चे इस क्षेत्र में निरन्तर मेहनत करते रहें साथ ही उन्होंने कहा कि आज उन्हें सामने इतनी बड़ी मात्रा में प्रतिभाओं को देखकर बहुत खुशी हुई. धर्मवीर जाखड़, संस्थापक आपणी पाठशाला ने इस बात पर खुशी जताई कि समाज के इस भवन में इतनी बड़ी मात्रा में समाज की प्रतिभाओं का स्वागत हो रहा है साथ ही कार्यक्रम में मौजूद सम्मानित नागरिकों से घुमन्तु बच्चों के लिए चल रही मुहिम से भी जुड़ने के लिए कहा ताकि उन्हें दयनीय स्थिति से निकालकर मुख्य धारा में लाया जा सके । प्रो. एच.आर. ईशराण ने जीवन जीने की पद्धति को विस्तार से प्रतिभाओं के सामने रखा. उन्होंने जीवन जीने की इस पद्धति में तीन प्रमुख स्किल पर चर्चा की तथा इसमें कम्युनिकेशन स्किल , थिंकिंग स्किल और इमोशनल इंटेलिजेंस को शामिल किया. उन्होंने कम्युनिकेशन स्किल पर चर्चा करते हुए कहा कि यह लाइफ स्किल की सबसे महत्वपूर्ण स्किल है तथा इसके लिए आपको वक्ता के साथ साथ एक अच्छा स्रोता बनना पड़ेगा और कहा कि आज केवल 5 % लोग ही तार्किक ढंग से सोच पाते हैं और यह बड़ी ही दयनीय स्थिति है. इसलिए प्रतिभाओं को तार्किक ढंग से सोचने की क्षमता विकसित करनी पड़ेगी तभी वो अच्छे और बुरे में भेद कर पाएंगे. दलीप सरावग ने कुम्भा राम जी आर्य को स्मरण करते हुए उनकी दूरदर्शी सोच की तारीफ की. सरोजवीर पुनिया ने कहा कि हमें हमेशा सीखने वाली उम्र में रहना चाहिए तथा टीम भावना से काम करते रहना होगा तभी हम आने वाली चुनौतियों का सामना कर पायेंगे. साथ ही कहा कि हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिये भले ही हम किसी भी स्तर पर पहुँच जाएं. रतनगढ़ विधायक पुसाराम गोदारा ने विशिष्ट क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परिचय देने वाले समाज के कोहिनुरों को बधाई दी तथा भामाशाह लादूराम थोरी की भी तारीफ की कि इतने भव्य समारोह को स्पॉन्सर किया.समाज के प्रबुद्ध नागरिकों को हरेक समाज को साथ में लेकर आगे बढ़ने की बात कही. साथ ही कहा कि सर्वसमाज ने जो विश्वास किया है उस पर वो खरे उतरने की भरसक कोशिश करेंगे. साथ ही कहा कि संघर्ष ही जीवन है इसलिए कभी भी हार नहीं माननी चाहे कितनी ही विपरीत परिस्थितियां हों . रेखा राम खीचड़ ने इतनी बड़ी संख्या में समाज की प्रतिभाओं के सरकारी सेवा में चयन पर खुशी जताई.
इस अवसर पर महेंद्र डूडी, हरिराम सारण, दुर्गाराम भारी, रामचंद्र खीचड़, बृजलाल खीचड़, गोपीराम खीचड़, पप्पू राम, चेतन राम ज्यानि, शुभकरण नैन, बजरंग बीसू, संजय पूनिया, सुलतान सिंह भींचर,रामेश्वरलाल डूडी,महेंद्र हुड्डा,ओमप्रकाश रणवा, इंद्र चंद, बाबूलाल मुंदलिया, हरलाल डूडी, मुखराम, हरबंश जानू, भंवरलाल पूनिया , रामकृष्ण थालोड़, विक्रमपाल थालोड़, सुरेंद्र हुडा, हनुमानाराम न्यौल , पूराराम गांधी, मदनलाल घिंटाला, विनोद महिया, गोविंदराम ढाका, सांवरमल बड़जाती, सज्जन बाटड, भंवरलाल पूनिया, चंद्रप्रकाश थोरी, रामकृष्ण ज्याणी, रमेश महला,रामेश्वरलाल सुंडा, जवरसिंह भामू सहित समाज के प्रबुद्धजन उपस्थित थे. इस अवसर पर रामनारायण चौधरी द्वारा उपस्थित समस्त प्रतिभागियों को समाज का कैलेंडर भेंट किया।
कार्यक्रम का संचालन खिंवाराम ख्यालिया और सुभाष नैण ने किया।
जाट बौद्धिकमंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ: 31.12.2023 के चित्र
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श्री इंद्राज खीचड़, जिला कांग्रेस अध्यक्ष
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श्रीमती सरोजवीर पूनियां, शिक्षाविद
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श्री पूसाराम गोदारा, विधायक रतनगढ़
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श्री रेखाराम खीचड़, सेवा निवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी।
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श्री धर्मवीर जाखड़, संयोजक आपणी पाठशाला चूरू
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श्री मुकन्दा राम नेहरा, अध्यक्ष जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़।
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श्री मुकन्दा राम नेहरा, अध्यक्ष जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़।
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श्री लादूराम राम जी व रामलाल जी थोरी
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श्री सुभाष नैण व खींवा राम ख्यालिया
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स्वागत करते हुए श्री महेन्द्र जी डूडी सचिव जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़।
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नव चयनित श्री विनोद श्योराण आर.ए.एस.अधिकारी का स्वागत करते हुए श्री सुभाष करण नैण छात्रावास अधीक्षक ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़
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नव चयनित कार्मिक का सम्मानित करते हुए श्री भंवर लाल जी डूडी जिला शिक्षा अधिकारी तथा श्री महेन्द्र जी न्यौल उप जिला प्रमुख चूरू
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मुख्य अतिथि श्रीमती मोहनीदेवी खीचड़, प्रधान रतनगढ़ से सम्मान प्राप्त करती हुई।
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श्री भंवरलाल जी डूडी जिला शिक्षा अधिकारी का स्वागत करते हुए श्री पूराराम गांधी
नई कार्यकारिणी गठित: 29.05.2024
सुलतानसिंह भींचर अध्यक्ष और पवन सेवदा सचिव निर्वाचित
रतनगढ़ 29 मई 2024
स्थानीय ग्रामीण किसान छात्रावास स्थित सभागार में आज नई कार्यकारिणी के निर्वाचन के लिए आमसभा आयोजित की गई। इससे पहले भारत रत्न चौधरी चरण सिंह को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी गई। उपस्थितजनों ने चौधरी चरण सिंह की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उनके गौरवशाली इतिहास को याद किया। मुकंदा राम नेहरा,गिरधारीलाल खीचड़,गिरधारीलाल बांगड़वा,सुलतान सिंह भींचर,पूराराम गांधी ने चरणसिंह के जीवनवृत और उनके समाज व राष्ट्र को दिए योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का द्वितीय सत्र गुलाराम पूनिया,रेवंतराम खीचड़ की अध्यक्षता में हुआ। जिसमें निवर्तमान कार्यकारिणी के अध्यक्ष सुगनचंद कटेवा,सोहन महला,सज्जन बाटड,चंद्रप्रकाश बुडानिया,रामेश्वरलाल डूडी ने प्रतिवेदन पेश करते हुए विकास कार्यों का ब्यौरा पेश किया। जिसके बाद चुनाव अधिकारी मुकंदाराम नेहरा और हरलाल डूडी द्वारा सदन से पुरानी कार्यकारिणी को भंग कर नई कार्यकारिणी के निर्वाचन का प्रस्ताव लिया गया।
नई कार्यकारिणी के निर्वाचन में अध्यक्ष पद पर सुलतान सिंह भींचर और सचिव पद पर पवन सेवदा को सर्वसम्मति से निर्वाचित किया गया। इसके साथ ही सभी पंचायतों से कार्यकारिणी सदस्यों के लिए प्रस्ताव लिया।
इस अवसर पर भागीरथ सिहाग,सुरेद्र हुड्डा,नानूराम बिरड़ा,किशोर बिजारनियां,रामकृष्ण थालोड़,विक्रमपाल थालोड़,शिवलाल ढेवा,गोविंदराम ढाका,खिंवाराम ख्यालिया,पन्नालाल जांघू,रामचंद्र ऐचरा,जगदीश जाखड़, सांवर मल बढ़जाती,पप्पू कादिया ,चंद्रप्रकाश घिंटाला,नंदराम बांगड़वा,पोखरमल कसवां,भागीरथ सिंह बगड़िया,लेखूराम बलारा,सुरजाराम बलारा,हीरालाल नैन,गोपीचंद खीचड़,मोहन नैन,भंवरलाल ढाका,सहीराम सहू,रामकरण खीचड़,भंवरलाल,घीसाराम सिहाग,गजानंद,पूराराम गांधी,भंवरलाल पूनिया,गिरधारीलाल बांगड़वा,अर्जुन कुलहड़िया,रामचंद्र खीचड़,श्यामलाल खीचड़,फूलाराम मील,भागीरथ खीचड़,चेतन डूडी,रामकृष्ण भंवरिया,शीशपाल डूडी,रतनलाल महला, तिलोक बिसू ,गणेश भाकर,सुभाष डूडी,किशनाराम ,रामकृष्ण थालोड़,रामेश्वरलाल सूंडा,रतनलाल महला,शीशपाल बिरडा,मनफूल टांडी,हरिराम भामू ,अमरदीप,मुखराम महिया,शिवकुमार डूडी,चुन्नीलाल धेतरवाल,प्रकाश खोतड़ी,हंसराज सिहाग,लक्ष्मण कड़वासरा,केशरदेव ढेवा,बिशनलाल रूलानिया,रेवंत मील,ओमप्रकाश,अर्जुन कुलहडिया,विक्रमपाल थालोड़,हरलाल डूडी,हेमाराम कालेर,रामनिवास सारण,मानक धेतरवाल ,श्रवण कुमार सारण,केशरदेव पूनिया,महेंद्र डूडी,मांगीलाल रूलानिया,हेमाराम पूनिया,भागीरथ राम मोटसरा,रमेश महला,विजयपाल भुवाल,हनुमानराम बीडासरा,सहीराम,बजरंगलाल बिसु,हनुमान न्योल,रामुकमार गोदारा,जगदीश,रेवंत डूडी,पदमाराम ढूकिया,बीरबल राम,सुभाष नैन,रामकुमार गोदारा,मदनलाल जाखड़,राजेश बढ़जाती, भूपेंद्र खिलेरी,पूसाराम कुड़ी, अमित ढेवा,शिवकरण खीचड़,जयप्रकाश बेनीवाल ,हरलाल ख्यालियां ,सोहनराम महिया,मनोज ऐचरा,सुरेंद्र ऐचरा,राजदीप आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर श्रवण महिया ने किया।
सुलतानसिंह भींचर अध्यक्ष और पवन सेवदा सचिव निर्वाचित
वृक्षारोपण कार्यक्रम: 15 अगस्त 2024
ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। पन्द्रह अगस्त 2024 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के परिसर में भगतसिंह अभियान के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें विधायक श्री पूसाराम जी गोदारा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष श्री इंद्राज जी खीचड़, रतनगढ़ एस.डी.एम. श्री अमित कुमार जी वर्मा, सी.बी.ई.ओ.श्री भंवरलाल लाल जी डूडी, ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री सुल्तान सिंह जी भींचर,जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री मुकन्दाराम जी नेहरा, भगतसिंह अभियान के जिला अध्यक्ष श्री प्रकाश चौधरी, प्रधानाचार्य श्री हरलाल जी डूडी, डाक्टर श्री सुखवीर सिंह जी कस्वां, छात्रावास के अधिक्षक श्री शुभकरण जी नैण सहित गणमान्य महानुभाव व विद्यार्थियो ने भागीदारी निभाई।
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15 अगस्त 2024 को ग्रामीण किसान छात्रावास में वृक्षारोपण कार्यक्रम के पश्चात स्थानीय विधायक श्री पूसाराम जी गोदारा के साथ ग्रुप फोटो।
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ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री सुल्तान सिंह जी भींचर व डाक्टर श्री सुखवीर सिंह जी कस्वां।
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15 अगस्त 2024 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम का विहंगम दृश्य।
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15 अगस्त 2024 को स्थानीय विधायक श्री पूसाराम जी गोदारा, श्री इन्द्राज जी खीचड़, छात्रावास के नव नियुक्त अध्यक्ष श्री सुल्तान सिंह जी भींचर,जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री मुकन्दाराम जी नेहरा, छात्रावास अधीक्षक श्री शुभकरण जी नैण तथा समाज के प्रबुद्ध वर्ग।
Misc. gallery
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ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ में जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ ने चरण सिंह जयंती मनाई 23.12.2022
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ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ में जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ ने महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस मनाया 25.12.2022
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ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ में क्विज परीक्षा का आयोजन श्री राम चन्द्र जी एचरा द्वारा 12 जुलाई 2023
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ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ परिसर में पारितोषिक वितरण छात्रावास अधीक्षक श्री शुभकरण नैण तथा राम चन्द्र जी एचरा 12 जुलाई 2023
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श्री भंवरलाल जी डूडी के जिला शिक्षा अधिकारी पर पदोन्नति होने पर दिनांक 19 सितम्बर 2021 ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के परिसर में जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की टीम द्वारा सम्मान समारोह किया गया।
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चौधरी चरण सिंह की निर्वाण तिथि पर जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की टीम की ओर से 29 मई 2022 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के हाल में श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
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ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के परिसर में चौधरी कुम्भा राम की पुण्य तिथि पर आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण।
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ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ परिसर में चौधरी कुम्भा राम की पुण्य तिथि पर 26 अक्टूबर 2022 को श्रद्धांजलि ।
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जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ व ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ की टीम द्वारा 25 दिसम्बर 2021को छात्रावास परिसर में महाराजा सूरजमल जी का बलिदान दिवस मनाया।
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महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस 25 दिसम्बर2021 पर जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ के अध्यक्ष श्री मुकन्दा राम नेहरा अपने विचार व्यक्त करते हुए।
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देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जयंती 23 दिसम्बर 2021 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के मुख्य प्रशाल में सर्व समाज के गणमान्य लोगों के सानिध्य में मनाई गई।
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जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ की कार्यकारिणी की आगामी प्रतिभा सम्मान समारोह की तैयारी बैठक दिनांक 29अक्टूबर को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ के सामुदायिक भवन में आयोजित की गयी।
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चौधरी कुम्भा राम जयन्ति पर 10 मई 2023 को ग्रामीण ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ परिसर में आयोजित किया गया।
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चौधरी कुम्भा राम जयन्ती पर 10 मई 2023 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ परिसर में आयोजित किया गया।
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चौधरी कुम्भा राम जयन्ती पर 10 मई 2023 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ परिसर में आयोजित किया गया।
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महिला पहलवान खिलाड़ियों के समर्थन में श्री शुभकरण नैण, श्री शिवलाल सिंह ढेवा, मुकन्दा राम नेहरा अन्य सैकड़ों प्रतिनिधि अन्याय के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उपखंड मुख्यालय रतनगढ़ परिसर में प्रवेश करते हुए।
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देश की महिला पहलवान खिलाड़ियों के समर्थन में दिनांक 2 मई 2023 की उपखंड रतनगढ़ के प्रतिनिधी को ज्ञापन सौंपते हुए श्री अनवर जी कुरेशी सेवा निवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी , भागीरथ जी खींचड़, श्री शिवलाल सिंह ढेवा, श्री सुगनाराम कंटेवा, श्री मुकन्दा राम नेहरा, श्री विक्रम पाल थालोड़, श्री शुभकरण नैण अन्य गणमान्य नागरिक।
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संदर्भ
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya et al: Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998, Section 9 pp.1-12
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya et al: Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998, Section 9 pp.1-12
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya et al: Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998, Section 9 pp.1-12
- ↑ Matrix News, Dec 10, 2012
- ↑ Matrix News, Dec 26, 2012
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